कहां पर खो गया हिंदुस्तान?- शिवराज सिंह चौहान

कहां पर खो गया हिंदुस्तान?

खुदा खौफ खाए बैठे,
भयभीत भये भगवान।
ये कैसा हो गया हिंदुस्तान,
कहां पे खो गया हिंदुस्तान।।

कोख में बैठी बेटी भी,
ये सोच सोच घबराए।
जन्म से लेकर मरण तलक,
सब नोच नोच कर खाएं।।
चिंताओं से घिरी हुई,
वो ढूंढ रही मुस्कान…..
ये कैसा…..?

लोलुप लंपट लवर लफंगे,
वहसी व्याभिचारी।
खुल्ले आम घूमते फिरते,
जुल्मी अत्याचारी।।
गली गली हर चौराहे पर,
खड़े हुए हैवान….
ये कैसा….?

चिड़कलियों की चहक खो गई,
कोयलिया की कूक।
कुछ मुर्दा कुछ जिंदा लाशें,
पूछे प्रश्न अचूक।।
तेरे घर भी होगी मुझसी,
बेटी बहन जवान….
ये कैसा….?

कहां गए वो कृष्ण कन्हैया,
जो आकर चीर बढ़ाए।
कहां गए वो राम लखन,
जो असुरों को संहाये।।
नामर्द यहां की सरकारें है,
और न्याय निषप्राण….
ये कैसा हो गया हिंदुस्तान?
कहां पर खो गया हिंदुस्तान??

:- *शिवराज सिंह चौहान*

*नांधा, रेवाड़ी*
*(हरियाणा)*

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