करें न तामसिक आहार /सुमा मण्डल

Vegetable Vegan Fruit

करें न तामसिक आहार /सुमा मण्डल

Vegetable Vegan Fruit

हम मनुष्य हैं ,कोई दैत्य – दानव नहीं,
क्यों दैत्यों – दानवों के पग पर पग धरते हैं?
मनुष्य होकर क्यों दैत्य- दानवों सा कृत्य करते हैं?
क्यों शुद्ध सात्विक आहार को छोड़कर,
तामसिक आहार पे हम टूट पड़ते हैं?
खाकर तामसिक आहार को फिर,
अवगुणों का सारा पिटारा अपने अंदर में भरते हैं ।

त्रिगुणमयी संसार में होता है सब त्रिगुणमयिक।
आहार भी सात्विक राजसिक और तामसिक।
तामसिक आहार नहीं चाहिए खाना।
अपने अंदर हैवान को नहीं चाहिए जगाना।

ढलता है आचरण में आहार का ही गुण।
तामसिक आहार करवा देता है मनुष्य से मनुष्यता का खून।
चेतना शून्य कर अमानुष बना देता है।
अपने वश में फिर पूरी तरह कर लेता है।

हम भी एक जीव हैं,
वे भी एक जीव हैं।
हमें भी दर्द का एहसास होता है,
उन्हें भी दर्द का एहसास होता है।
फिर क्यों अपनी तृष्णा के खातिर,
हम ऐसा हैवान बन जाते हैं?
बड़ी निर्ममता से हत्या कर उनकी,
बड़ी चाव से फिर उन्हें हम खाते हैं।

सृष्टि का सर्वश्रेष्ठ, सर्वोच्च देहधारी मनुष्य ,
देवता भी तरसते हैं इस देह को पाने के लिए।
मुक्ति का द्वार यह मनुष्य देह,
मिला नहीं है संसार में सिर्फ खाने के लिए।
चार खानि चौरासी लाख योनियों में
भटकने के बाद मिलता है यह तब।
अखिल ब्रह्माण्ड नायक श्री हरि जी,
करुणा कर अपनी करूणा बरसातें हैं जब।

इस देह का उद्देश्य भोग करना नहीं,
ईश्वर संग योग कर ईश्वर में समाना है।
सदा शुद्ध सात्विक आहार कर,
प्रभु की परम कृपा कमाना है।
करते हैं क्यों तामसिक आहार
प्रभु के द्वार से दूर भटकने के लिए ?
क्यों स्वयं को बनाते हैं इस योग्य
यमराज के द्वारा के फंदे में लटकने के लिए ?

करें न तामसिक आहार /सुमा मण्डल

मांस के साथ – साथ तामसिक आहार में आते हैं लहसुन-प्याज भी।
उड़द मसूर की गणना भी जाती है इसी में की।
संसार में अच्छी – अच्छी वस्तुओं की कमी नहीं खाने के लिए।
अच्छी – अच्छी वस्तुओं को छोड़कर, क्यों लालायित रहते हैं तामसिक आहार पाने के लिए?

तामसिक आहार न अब से ग्रहण करें हम।
जीवों की हत्या कर जीवों को न दें गम।
करें न जीव हत्या का पाप का करम।
कहता भी है हमसे यही हमारा सत्य सनातन धरम।

रचयिता -श्रीमती सुमा मण्डल
वार्ड क्रमांक 14 पी व्ही 116
नगर पंचायत पखांजूर
जिला कांकेर, छत्तीसगढ़