शाकाहार पर नारे/ विजय पाटने

Vegetable Vegan Fruit

शाकाहार पर नारे

प्रकृति का ये उपहार।
जीओ और जीने दो बने साकार।

साग सब्जी अपना हथियार।
उत्तम स्वास्थ्य लाएँ अपने द्वार।

मांस का करें तिरस्कार।
ना बने पाप के भागीदार।

दूर करे तन मन के विकार।
अपना कर भोजन शाकाहार।

आज धरा की है पुकार।
शाकाहार ही हो भोजन का आधार।

आओ सब मिलकर भरे हुंकार।
बंद हो मांसाहार का व्यापार।

जीने का दे सभी को अधिकार।
शाकाहार सर्वोत्तम आहार।।

रचनाकार
विजय पाटने
374,Aarambh
Silver Starcity
Silicon city Indore
9826065177

कविता बहार

"कविता बहार" हिंदी कविता का लिखित संग्रह [ Collection of Hindi poems] है। जिसे भावी पीढ़ियों के लिए अमूल्य निधि के रूप में संजोया जा रहा है। कवियों के नाम, प्रतिष्ठा बनाये रखने के लिए कविता बहार प्रतिबद्ध है।