माता पिता पर रचना

माता पिता पर रचना

‌जिनकी वजह से खडे हो।
आज सोचते ‍‌‌‌‌‌‍‍‌‌‌ हो उनसे बड़े हो।।

आज रुकते नहीं है ये आंसू।
छोटी सी बात लेकर लड़े हो।।

गलतियां तूने की थी हजारों ।
पूछा एक बार ना क्यों अडे़ हो।।

जानते हो वो पूजन के लायक ।
पूछते हो, क्यों बिस्तर पड़े हो।।

चोट ऐसी ना सह पयोगे तुम ।
हीरे मोती हजारों जड़े हो।।

जिनको घर से है बाहर निकाला।
कलको तुमभी वहीं पर खड़े हो।।

बरसो बीतेंगे तब समझोगे तुम।
ऐसी दलदल में क्यों आ खड़े हो।।

आज रुकते नहीं है ये आंसू।

छोटी सी बात लेकर लड़े हो।।।

बादल राय

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