मित्रता पर दोहे – गोपाल ‘सौम्य सरल

यहां पर *गोपाल 'सौम्य सरल'‌ द्वारा रचित सच्ची मित्रता को समर्पित एक रचना प्रस्तुत है।

यहां पर *गोपाल ‘सौम्य सरल’‌ द्वारा रचित सच्ची मित्रता को समर्पित एक रचना प्रस्तुत है।

मित्रता पर दोहे

सखा प्रीत सबको मिले, मिले सखा का साथ।
साथ सखा का है पुनित, सब सुख होते हाथ।।

सखा खरा है साथ में, तो संकट टल जाय।
बड़भागी वह नर बने, सखा खरा जो पाय।।

मित्र कृपा भगवान की, पाते सच्चे लोग।
मिले मित्र को मित्र जब, बनता सदा सुयोग।।

कृष्ण सुदामा मित्र थे, रखा नहीं था स्वार्थ।
प्रेम अनन्य रखा सदा, चाहे नहीं पदार्थ।।

अवसर पड़े न चूकिए, करने मित्र निहाल।
वार दीजिए मित्र पर, बन संकट की ढाल।।

✍️ *गोपाल ‘सौम्य सरल’*

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