नया साल ख़ास
वक्त के साथ दिन-महीने,और बदल गए साल,
निरंतर आगे बढ़ना है,यही है समय की चाल।
मेहनत से हम सबको कुछ पाने की है,आश,
यही है उम्मीद सभी का हो,नया साल ख़ास।
नूतन वर्ष 2025 का,किजीए सभी इस्तकबाल,
विनम्रता से बनाईए अपने जीवन को,खुशहाल।
ऐब को त्याग कर,अच्छाई रखिए अपने पास,
यही है उम्मीद सभी का हो,नया साल ख़ास।
बनाकर इतिहास,गौरवंतित करो हर-पल को,
देखकर आपको नाज़ होगा,आने वाला कल को
आलस्य को त्याग कर हृदय में भर लो’उल्लास’,
यही है उम्मीद सभी का हो,नया साल ख़ास।
देश की मोहब्बत को,दिल में बसाए रखना,
समाज की आबरू को,हमेशा बचाए रखना।
अस्पृश्यता और भेदभाव का कीजिए,विनाश,
यही है उम्मीद सभी का हो,नया साल ख़ास।
मजलूमो,बेबसों,बेसहारों का बनीए सहारा,
अच्छाई अपना कर,बुराई का करो किनारा।
सफलता के लिए कीजिए,नित नए प्रयास,
यही है उम्मीद सभी का हो,नया साल ख़ास।
परोपकार के लिए है जीवन,इसे न करो बेकार,
एक है खून,एक है भाव,एक है अंतिम द्वार।
धार्मिक भेदभाव को,भुलाकर कीजिए उद्धार,
कहता है ‘अकिल’ जीवन को,बनाईए गुलजार।
आशा है,नव वर्ष में हर जीवन में हो मिठास
यही है उम्मीद सभी का हो,नया साल ख़ास।
अकिल खान, सदस्य, प्रचारक “कविता-बहार” जिला – रायगढ़ (छ.ग.).