Category: अन्य काव्य शैली

  • निमाई प्रधान’क्षितिज’ के हाइकु

    निमाई प्रधान’क्षितिज’ के हाइकु

    हाइकु

    निमाई प्रधान’क्षितिज’ के हाइकु

    *[1]*
    *हे रघुवीर!*
    *मन में रावण है*
    *करो संहार ।*

    *[2]*
    *सदियाँ बीतीं*
    *वहीं की वहीं टिकीं*
    *विद्रूपताएँ ।*

    *[3]*
    *जाति-जंजाल*
    *पैठा अंदर तक*
    *करो विमर्श ।*

    *[4]*
    *दुःखी किसान*
    *सूखे खेत हैं सारे*
    *चिंता-वितान*

    *[5]*
    *कृषक रुष्ट*
    *बचा आख़िरी रास्ता*
    *क्रांति का रुख़*

    *[6]*
    *प्रकृति-मित्र!*
    *सब भूले तुमको*
    *बड़ा विचित्र!!*

    *[7]*
    *अथक श्रम*
    *जाड़ा-घाम-बारिश*
    *नहीं विश्राम*

    *[8]*
    *बंजर भूमि*
    *फसल कहाँ से हो ?*
    *हारा है वह*

    *[9]*
    *पके फसल*
    *हर्षित है कृषक*
    *हुआ सफल*

    *[10]*
    *सोन-बालियाँ*
    *पवन संग झूमें*
    *धान के खेत*

    *[11]*
    *आँखों में ख्व़ाब*
    *फसल पक रहे*
    *ब्याज तेज़ाब!!*

    *-@निमाई प्रधान’क्षितिज’*

  • वृन्दा पंचभाई की हाइकु

    वृन्दा पंचभाई की हाइकु

    हाइकु

    वृन्दा पंचभाई की हाइकु

    छलक आते
    गम और खुशी में
    मोती से आँसू।

    लाख छिपाए
    कह देते है आँसू
    मन की बात।

    बहते आँसू
    धो ही देते मन के
    गिले शिकवे।

    जीवन भर
    साथ रहे चले
    मिल न पाए।

    नदी के तट
    संग संग चलते
    कभी न मिले।

    जीवन धुन
    लगे बड़ी निराली
    तुम लो सुन।

    जीवन गीत
    अपनी धुन में है
    मानव गाता।

    सुख दुःख के
    पल जीवन भर
    संग चलते।

    धुन मुझको
    एक तुम सुनाना
    खुद को भूलूँ।

    बसंत पर हाइकु

    धरती धरे
    वासन्ती परिधान
    रूप निखरे। 1

    ओस चमके
    मोती सी तृण कोर
    शीतल भोर।2

    वसन्त आया
    सुमन सुरभित
    रंग-बिरंगे।3

    गीत सुनाए
    मतवाली कोयल
    मन लुभाती। 4

    करे स्वागत
    खिले चमन जब
    बसन्त आता।5

    वृन्दा पंचभाई

  • आस टूट गई और दिल बिखर गया

    आस टूट गई और दिल बिखर गया


    आस टूट गयी और दिल बिखर गया।
    शाख से गिरकर कोई लम्हा गुज़र गया।

    उसकी फरेबी मुस्कान देख कर लगा,
    दिल में जैसे कोई खंजर उतर गया।

    आईने में पथराया हुआ चेहरा देखा,
    वो इतना कांपा फिर दिल डर गया।

    वहां पहले से इत्र बू की भरमार थी,
    गजरा लेकर जब उसके मैं घर गया।

    दिल- ए- जज़्बात मेरे सारे ठर गये,
    जब मौसम भी फेरबदल कर गया।

    एक मंज़र देखा ऐसा कि परिंदें रो पड़े,
    जहां एक शजर कट कर मर गया।

    *सुधीर कुमार*

  • भाईचारा

    द्वेष दम्भ भूलकर अपनाएँ भाईचारा ।
    होगा खुशहाल तभी ये देश हमारा।
    विश्वास की गहरी नींव बनाकर,
    चलो कटुता मन की काटे।
    न बने किसी के दुख की वजह
    फूल खुशियों के बाँटें।
    हमारी संस्कृति यही सिखाती
    पूरा विश्व है एक परिवार।
    बैर ईर्ष्या उन्नति में बाधक
    प्रेम ही सुख का आधार।

  • उपमेंद्र सक्सेना – मुहावरों पर कविता

    उपमेंद्र सक्सेना – मुहावरों पर कविता

    kavita-bahar-hindi-kavita-sangrah

    नैतिकता का ओढ़ लबादा, लोग यहाँ तिलमिला रहे हैं
    और ऊँट के मुँह में जीरा, जाने कब से खिला रहे हैं।

    आज कागजी घोड़े दौड़े, कागज का वे पेट भरेंगे
    जो लिख दें वे वही ठीक है, उसे सत्य सब सिद्ध करेंगे
    चोर -चोर मौसेरे भाई, नहीं किसी से यहाँ डरेंगे
    और माफिया के चंगुल में, जाने कितने लोग मरेंगे

    हड़प लिया भूखे का भोजन, अब देखो खिलखिला रहे हैं
    और ऊँट के मुँह में जीरा, जाने कब से खिला रहे हैं।

    मानव- सेवा के बल पर जो, नाम खूब अपना चमकाएँ
    जनहित में जो आए पैसा, उसको वे खुद ही खा जाएँ
    सरकारी सुख-सुविधाओं का, वे तो इतना लाभ उठाएँ
    उनके आगे कुछ अधिकारी, भी अब नतमस्तक हो जाएँ

    आज दूसरों की दौलत वे, अपने घर में मिला रहे हैं
    और ऊँट के मुँह में जीरा, जाने कब से खिला रहे हैं।

    फँसकर यहाँ योजनाओं में, निर्धन हो जाते घनचक्कर
    लाभ न उनको मिलता कोई, लोग निकलते उनसे बचकर
    दफ्तर में दुत्कारा जाता, हार गए वे आखिर थककर
    कौन दबंगों से ले पाए, बोलो आज यहाँ पर टक्कर

    लोग दिलासा देते उनको, भूखे जो बिलबिला रहे हैं
    और ऊँट के मुँह में जीरा, जाने कब से खिला रहे हैं।

    आज आस्तीनों में छिपकर, कितने सारे नाग पले हैं
    देख न सकते यहाँ तरक्की,अपनों से वे खूब जले हैं
    जिसने उनको अपना समझा, वे उसको ही लूट चले हैं
    अंदर से काले मन वाले, बनते सबके आज भले हैं

    मीठी बातों का रस सबको, आज यहाँ पर पिला रहे हैं
    और ऊँट के मुँह में जीरा, जाने कब से खिला रहे हैं।

    रचनाकार ✍️उपमेंद्र सक्सेना एडवोकेट
    ‘कुमुद- निवास’
    बरेली (उत्तर प्रदेश)