निमाई प्रधान’क्षितिज’ के हाइकु

हाइकु

निमाई प्रधान’क्षितिज’ के हाइकु *[1]* *हे रघुवीर!**मन में रावण है* *करो संहार ।* *[2]**सदियाँ बीतीं* *वहीं की वहीं टिकीं* *विद्रूपताएँ ।* *[3]**जाति-जंजाल**पैठा अंदर तक**करो विमर्श ।* *[4]**दुःखी किसान* *सूखे खेत हैं सारे* *चिंता-वितान* *[5]**कृषक रुष्ट* *बचा आख़िरी रास्ता* *क्रांति का रुख़* *[6]**प्रकृति-मित्र!**सब भूले तुमको**बड़ा विचित्र!!* *[7]* *अथक श्रम* *जाड़ा-घाम-बारिश* *नहीं विश्राम* *[8]**बंजर भूमि**फसल कहाँ से … Read more

वृन्दा पंचभाई की हाइकु

हाइकु

वृन्दा पंचभाई की हाइकु छलक आतेगम और खुशी में मोती से आँसू। लाख छिपाएकह देते है आँसूमन की बात। बहते आँसूधो ही देते मन केगिले शिकवे। जीवन भर साथ रहे चलेमिल न पाए। नदी के तटसंग संग चलतेकभी न मिले। जीवन धुनलगे बड़ी निरालीतुम लो सुन। जीवन गीतअपनी धुन में हैमानव गाता। सुख दुःख केपल … Read more

आस टूट गई और दिल बिखर गया

आस टूट गई और दिल बिखर गया आस टूट गयी और दिल बिखर गया।शाख से गिरकर कोई लम्हा गुज़र गया। उसकी फरेबी मुस्कान देख कर लगा,दिल में जैसे कोई खंजर उतर गया। आईने में पथराया हुआ चेहरा देखा,वो इतना कांपा फिर दिल डर गया। वहां पहले से इत्र बू की भरमार थी,गजरा लेकर जब उसके … Read more

भाईचारा

द्वेष दम्भ भूलकर अपनाएँ भाईचारा । होगा खुशहाल तभी ये देश हमारा। विश्वास की गहरी नींव बनाकर, चलो कटुता मन की काटे। न बने किसी के दुख की वजह फूल खुशियों के बाँटें। हमारी संस्कृति यही सिखाती पूरा विश्व है एक परिवार। बैर ईर्ष्या उन्नति में बाधक प्रेम ही सुख का आधार।

उपमेंद्र सक्सेना – मुहावरों पर कविता

उपमेंद्र सक्सेना – मुहावरों पर कविता नैतिकता का ओढ़ लबादा, लोग यहाँ तिलमिला रहे हैं और ऊँट के मुँह में जीरा, जाने कब से खिला रहे हैं। आज कागजी घोड़े दौड़े, कागज का वे पेट भरेंगेजो लिख दें वे वही ठीक है, उसे सत्य सब सिद्ध करेंगेचोर -चोर मौसेरे भाई, नहीं किसी से यहाँ डरेंगेऔर … Read more