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  • सिरपुर की कविता

    सिरपुर की कविता

    27 सितम्बर को विश्व पर्यटन दिवस मनाया जाता है। विद्यालय में इस दिन पर्यटन का महत्व बताते हुए प्रान्त तथा देश के पर्यटन स्थलों की विस्तृत जानकारी करानी चाहिए। पर्यटन के विभिन्न साधनों से अवगत कराते हुए सड़क मार्ग तथा रेलमार्गों के नक्शे लगाकर महत्वपूर्ण स्थलों तक पहुँचने का मार्ग तथा समय, व्यय आदि भी बताने चाहिए। पर्यटन के समय क्या क्या सामग्री साथ में लेनी चाहिए, किन-किन सावधानियों को ध्यान में रखना है, इस प्रकार की सारी शिक्षा इस अवसर पर आसानी से दी जा सकती है। वर्ष में एक बार पर्यटन का कार्यक्रम रखना भी बहुत उपयोगी सिद्ध हो सकता है। यह भी विद्यालय की गतिविधियों का विशेष अंग हो, जिसके लिए अर्थ-व्यवस्था तथा यात्रा क्रम, विश्राम स्थल आदि का प्रबन्ध पहले से किया जाना चाहिए।

    सिरपुर की कविता

    सिरपुर की कविता

    सिरपुर की है , इतिहास गहरा।
    छत्तीसगढ़ की है, ये पावन धरा।
    गौरव बढ़ाता लक्ष्मणेश्वर ।
    यश फैलाता महादेव गंधेश्वर।
    भग्नावशेष है स्वास्तिक विहार के,
    जिसमें विराजे गौतम बुद्धेश्वर ।
    श्रीपुर है दिव्य स्थल,
    जहाँ देवों का पहरा ।
    छत्तीसगढ़ की है, ये पावन धरा।1

    दक्षिण कोशल की है जो राजधानी ।
    पांव पखारे जिसे ,महानद की पानी ।
    राम-लक्ष्मण की मंदिर है जहाँ, सुहानी ।
    बनाया था जिसे हर्ष की वासटा महारानी ।
    शैव,वैष्णव,बौद्ध,जैन धर्म से जुड़ी
    यहाँ पर उनकी चिह्न प्रतीकों से भरा।
    छत्तीसगढ़ की है, ये पावन धरा।2

    दूरस्थ क्षेत्रों से आते चित्रांगदापुर ।
    अखिल विश्व धरोहर में, है मशहुर ।
    सातवीं शताब्दी में आया जो भूकंप
    हो गई फिर यह दिव्य स्थल चूर-चूर ।
    कला स्थापत्य धर्म अध्यात्म से पूर्ण
    सोमवंशी राजाओं का था यहाँ डेरा।
    छत्तीसगढ़ की है, ये पावन धरा।3
    (✒ मनीभाई ‘नवरत्न’, छत्तीसगढ़ )

  • हमारे देश में आना ( विश्व पर्यटन दिवस पर कविता )

    27 सितम्बर को विश्व पर्यटन दिवस मनाया जाता है। विद्यालय में इस दिन पर्यटन का महत्व बताते हुए प्रान्त तथा देश के पर्यटन स्थलों की विस्तृत जानकारी करानी चाहिए। पर्यटन के विभिन्न साधनों से अवगत कराते हुए सड़क मार्ग तथा रेलमार्गों के नक्शे लगाकर महत्वपूर्ण स्थलों तक पहुँचने का मार्ग तथा समय, व्यय आदि भी बताने चाहिए। पर्यटन के समय क्या क्या सामग्री साथ में लेनी चाहिए, किन-किन सावधानियों को ध्यान में रखना है, इस प्रकार की सारी शिक्षा इस अवसर पर आसानी से दी जा सकती है। वर्ष में एक बार पर्यटन का कार्यक्रम रखना भी बहुत उपयोगी सिद्ध हो सकता है। यह भी विद्यालय की गतिविधियों का विशेष अंग हो, जिसके लिए अर्थ-व्यवस्था तथा यात्रा क्रम, विश्राम स्थल आदि का प्रबन्ध पहले से किया जाना चाहिए।

    हमारे देश में आना (विश्व पर्यटन दिवस पर कविता )

    इंद्रधनुष

    हमारे देश में आना लगेगी धूप—छांव
    मिलेंगे रंग कई देखना शहर—ओ—गांव

    हमारा देश है हमारे ही मन का आंगन
    इस धरा के चरण को चूमता है नीलगगन
    न जाने कैसी है इस देश की माटी से लगन
    जो यहां आता है हो जाता है सब देख मगन

    घूम के देखो तुम भी देश मेरा पांव—पांव

    हमारे देश में आना लगेगी धूप—छांव
    मिलेंगे रंग कई देखना शहर—-ओ—गांव

    कई मौसम यहां जीवन के गीत गाते हैं
    सभी का प्रेम देख देव मुस्कुराते हैं
    रिश्ता कोई भी हो श्रद्धा से सब निभाते हैं
    अपने दुःख और तनाव पे जीत पाते हैं

    शांति का टापू है, नहीं है ज्यादा कांव—कांव

    हमारे देश में आना लगेगी धूप—छांव
    मिलेंगे रंग कई देखना शहर—ओ—गांव

    स्वरचित : आशीष श्रीवास्तव

  • हिंदी हमारी आन है आचार्य गोपाल जी

    हिन्दी भारत की राष्ट्रभाषा है। 14 सितम्बर, 1949 के दिन संविधान निर्माताओं ने संविधान के भाषा प्रावधानों को अंगीकार कर हिन्दी को भारतीय संघ की राजभाषा के रूप में मान्यता दी। संविधान के सत्रहवें भाग के पहले अध्ययन के अनुच्छेद 343 के अन्तर्गत राजभाषा के सम्बन्ध में तीन मुख्य बातें थी-

    संघ की राजभाषा हिन्दी और लिपि देवनागरी होगी। संघ के राजकीय प्रयोजनों के लिए प्रयोग होने वाले अंकों का रूप भारतीय अंकों का अन्तर्राष्ट्रीय रूप होगा ।

    हिंदी हमारी आन है

    हिंदी हमारी आन है ,
    ये भारत की शान है ।
    हिंदी से हिंदुस्तान है ,
    ये भाषा बड़ी महान है ,
    यही बढ़ाती मान है।
    हिंदी हमारी आन है ,
    ये भारत की शान है ।

    संस्कृत में है संस्कृति हमारी,
    हिंदी संस्कृत की संतान है ।
    यही हमारी है एक धरोहर,
    ये करती सब का सम्मान है ।
    अरबी फारसी अंग्रेजी सहित,
    यह सबको देती मान है ।
    हिंदी हमारी आन है ,
    ये भारत की शान है ।

    प्रेम सौहार्द की भाषा हिंदी,
    प्रेम की मजबूत धागे समान है ।
    हिंदू की गौरव गाथा है,
    सनातन की पहचान है ।
    सूर तुलसी कबीर रहीम ,
    कहीं  जायसी तो रसखान है ।
    हिंदी हमारी आन है ,
    ये भारत की शान है ।

    हिंदी भारत की बिंदी है,
    सुलभ सुगम रस खान है ।
    ‌गर्व हमें है निज भाषा पर,
    यही हमारा स्वाभिमान है ।
    जीवन की है यही परिभाषा,
    यह कालजई महान है ।
    हिंदी हमारी आन है ,
    ये भारत की शान है ।

    बिहारी,भूषण,कवि चंद है इसमें,
    दिनकर,निराला,पंत,भारतेंदु महान है ।
    बड़ी निराली देवनागरी लिपि,
    विश्व में इसकी अलग पहचान है ।
    हर भारतवासी के दिल में ,
    हिंदी  के लिए सम्मान है ।
    हिंदी हमारी आन है ,
    ये भारत की शान है ।

    पर आज यही बनी है दासी ,
    हम सब से ही यह परेशान है ।
    अंग्रेजी है राज कर रही ,
    यह बनी हुई गुमनाम है ।
    दिवस पर करते गुणगान सब ,
    दिल से करते अंग्रेजी का बखान है ।
    हिंदी हमारी आन है ,
    ये भारत की शान है ।

    नेताओं की है बात निराली,
    अंग्रेजी की करते रखवाली ।
    हिंदी का करते अपमान है,
    हर वर्ष बना के नए नियम वो,
    जिसमे वोट कमीशन नाम है,
    यही चलन आज आम है ।
    हिंदी हमारी आन है ,
    ये भारत की शान है ।

    आचार्य गोपाल जी
               उर्फ
     आजाद अकेला बरबीघा वाले

  • हिंदी से ही भारत की शुभ पहचान है

    हिन्दी भारत की राष्ट्रभाषा है। 14 सितम्बर, 1949 के दिन संविधान निर्माताओं ने संविधान के भाषा प्रावधानों को अंगीकार कर हिन्दी को भारतीय संघ की राजभाषा के रूप में मान्यता दी। संविधान के सत्रहवें भाग के पहले अध्ययन के अनुच्छेद 343 के अन्तर्गत राजभाषा के सम्बन्ध में तीन मुख्य बातें थी-

    संघ की राजभाषा हिन्दी और लिपि देवनागरी होगी। संघ के राजकीय प्रयोजनों के लिए प्रयोग होने वाले अंकों का रूप भारतीय अंकों का अन्तर्राष्ट्रीय रूप होगा ।

    हिंदी से ही भारत की शुभ पहचान है

    ★★★★★★★★
    जिसे बोल मान बढ़े,
    हिंदी से ही शान बढ़े ।
    हिंदी से ही भारत की,
    शुभ पहचान है।
    ★★★★★★★★
    प्रजातंत्र की है धूरी ,
    जिसे बोले हिंद पूरी।
    अनेकता में भी एक ,
    देश ये समान है ।
    ★★★★★★★★★
    हिंदी प्रीत की है डोरी,
    जैसे लगे माँ की लोरी।
    हिंदी से ही बने सब,
    विधि का विधान है ।
    ★★★★★★★★★
    जानता है पूरा देश ,
    हिंदी से ही परिवेश ।
    पावन बना है सभी ,
    भारत महान है।
    ★★★★★★★★
    रचनाकार डिजेन्द्र कुर्रे “कोहिनूर”
    पीपरभवना,बलौदाबाजार (छ.ग.)

  • चलो हिंदी को दिलाएं उसका सम्मान(CHALO HINDI KO DILAYE USKA SAMMAN)

    हिन्दी भारत की राष्ट्रभाषा है। 14 सितम्बर, 1949 के दिन संविधान निर्माताओं ने संविधान के भाषा प्रावधानों को अंगीकार कर हिन्दी को भारतीय संघ की राजभाषा के रूप में मान्यता दी। संविधान के सत्रहवें भाग के पहले अध्ययन के अनुच्छेद 343 के अन्तर्गत राजभाषा के सम्बन्ध में तीन मुख्य बातें थी-

    संघ की राजभाषा हिन्दी और लिपि देवनागरी होगी। संघ के राजकीय प्रयोजनों के लिए प्रयोग होने वाले अंकों का रूप भारतीय अंकों का अन्तर्राष्ट्रीय रूप होगा ।

    चलो हिंदी को दिलाएं उसका सम्मान

    मां भारती के माथे में ,जो सजती है बिंदी।
    वो ना हिमाद्रि की श्वेत रश्मियां ,
    ना हिंद सिन्धु की लहरें ,
    ना विंध्य के सघन वन,
    ना उत्तर का मैदान।
    है वो अनायास, मुख से विवरित हिन्दी।
    जननी को समर्पित प्रथम शब्द ‘मां’ की ।
    सरल ,सहज ,सुबोध ,मिश्री घुलित हर वर्ण में ।
    सुग्राह्य, सुपाच्य हिंदी मधु घोले श्रोता कर्ण में ।
    हमारा स्वाभिमान ,भारत की शान ।
    सूर तुलसी कबीर खुसरो की जुबान।
    मिली जिससे स्वतंत्रता की महक।
    राष्ट्रभाषा का दर्जा दूर अब तलक ।
    चलो हिंदी को दिलाएं उसका सम्मान।
    मानक हिंदी सीखें , चलायें अभियान।।

    मनीभाई ‘नवरत्न’, छत्तीसगढ़