शाश्वत अनुष्टुप्छन्द में कविता

मैं दिलवर दीवाना हर जनम का प्रिये ।भाये तेरे बिना कोई कभी हो सकता नहीं ।। दीवाने सब हैं मस्त धन दौलत लिए हुए ।अपनी तो फकीरी से यारी है निभा रहे ।। पद लोलुपता तेरी मौलिकता उड़ा गई ।पतनोन्मुख इंसान अंदर से मरा हुआ ।। दीवानेपन की बात यूँ कहते नहीं बने ।है अजीब खुमारी सी...

आजादी के अलख जगैय्या

आजादी के अलख जगैय्या वीर नारायण तोर जीनगी के एके ठन अधार।सादा जीवन जीबो अउ बढ़िया रखबो विचार।हक के बात आही त, नई झुकन गा बिंझवारअंग्रेज ला चुनौती देबो, मचा देबो हाहाकार। सोनाखान मा जनम लिस, रामराय परिवार।जेकर पूर्वज रिहीन तीन सौ गां के जमींदार।अकाल पढ़िस राज मा,...

दूध पर कविता

मेरे स्कूल का दूध (एक घटना) दुःख ही जीवन की कथा रही यह सदा कष्ट की व्यथा रही। कब तक कोई लड़ सकता है! कब तक कष्टें सह सकता है हो सहनशक्ति जब पीर परे है कौन धीर धर सकता है? मन डोल उठा यह देख दृश्य उस बच्ची का जीवन भविष्य जो आयी थी कुछ बनने को नन्हीं प्यारी नासमझ शिष्य।...

ग़ज़ल -विनोद सिल्ला

ग़ज़ल -विनोद सिल्ला कैसी-कैसी हसरत पाले बैठे हैं।गिद्ध नजर जो हम पर डाले बैठे हैं।।इधर कमाने वाले खप-खप मरते हैं,पैसे वाले देखो ठाले बैठे हैं।।खून-पसीना खूब बहाते देखे जो,उनसे देखो छीन निवाले बैठे हैं।।नफरत करने वाले दोनों और रहे,कुछ मस्जिद तो बाकि शिवाले बैठे...

वसंत ऋतु पर छोटी सी कविता (short poem on spring)

वसंत भारतीय वसंत को दर्शाता है, और ऋतु का मौसम है। वसंत ऋतु के मुख्य त्योहारों में से एक वसंत पंचमी (संस्कृत: वसन्त पञ्चमी) को मनाया जाता है, जो भारतीय समाज में एक सांस्कृतिक और धार्मिक त्योहार है, जिसे वसंत के पहले दिन, हिंदू महीने के पांचवें दिन (पंचमी) को मनाया...