भारत को आजादी पाना इतना नहीं था आसान ।
वीरों ने संघर्ष किया और किया अपना बलिदान ।
अग्रगण्य हैं उनमें सदा छत्तीसगढ़ के वीर महान।
शहीद वीर नारायण सिंह बने इस माटी की शान।
भुखमरी का शिकार हो रहे थे ,हमारे प्रांतवासी।
कोई नहीं देख सकता ऐसा दृश्य जो हो साहसी।
क्रूर माखन का लूटा गोदाम, संकोच ना जरा सी। गरीबों में बंटवाया अन्न , ऐसे दयालु आदिवासी।
जब बगावत की बात आई भीड़ गए वीर सेनानी। फौज बनाया अंग्रेजों के खिलाफ ऐसी थी जवानी।
वीर नारायण के कारनामे से, जनता हुई दीवानी।
ठाना था एक चीज, वो है बस आजादी को पानी।
पिता से विरासत मिली, आपको देशभक्ति निडरता।
लोक प्रिय नायक बने,परोपकारी और न्यायप्रियता। हे जननायक! है धन्य आपकी वीरता और कर्मठता।
जेल में ही बना लिया सेना, और बन गए आप नेता।
बना राजधानी का केंद्र, स्मारक जय स्तंभ है नाम।
सोनाखान के जमींदार को मिली , जहां परम धाम।
अंग्रेजों के तानाशाही का, जीते जी लगाई लगाम।
हे आदिवासी ! बिंझवार वीर ! तुझको मेरा प्रणाम।
मनीभाई नवरत्न