बाबा गाडगे का जीवन
धन दौलत चाहे रुपया पैसा
भौतिक संपदा हो भरपूर।
जनसेवा में लगा दो मनुवा
दान करो, बनके सच्चे सूर।
देखो,बाबा गाडगे का जीवन
भीख मांगा पर किया समर्पण
दिया सर्वस्व लोक सेवा हेतु
जो भी रहा अपना अर्जन ।।
नहीं बनवाई अपनी कुटिया
बीता दिया जीवन तरु तल।
एक बर्तन से ही खाना पीना
उसी से करते भजन कीर्तन
अनपढ़ गोदड़े वाला बाबा।
रूढ़ियों से रहते कोसों दूर।
ज्ञान का वो अलख जगाके
दुर्व्यसनों को करते नामंजूर।
संत तेरा था एकमात्र ध्येय
हो दीन-दुखियों की सेवा।
आडंबर के खिलाफ सदैव
और जाने दरिद्र एक देवा।
अमीर की हाय हाय पैसा
माया में लिपटे आजीवन।
फकीर संत आप महान हो
बना दी मुफ्त यात्री भवन।
पशु कोई भोजन नहीं है
ये जानने लगा ,जन जन।
पशुबलि के वे घोर विरोधी
दूर हुआ धार्मिक शोषण।
सत्य मार्ग पर चल रहा
‘गाडगे महाराज मिशन’ ।
मानवता मूर्तिमान करे
अर्पित करो संपूर्ण जीवन।