आओ गिलहरी बनें -डाॅ.संजय जी मालपाणी

आओ गिलहरी बनें सागर पर जब सेतु बना था, गिलहरी ने क्या काम किया था जहां-जहां भी दरार रहती, उसने उसको मिटा दिया था वैसे तो वह छोटी सी थी, राम कार्य में समर्पित थी रेती उठाकर चल पड़ती थी,…

राजनीति बना व्यापार जी – राजकुमार मसखरे

राजनीति बना व्यापार जी देखो आज इस राजनीति ककैसे बना गया ये व्यापार जी ,लोक-सेवक अब गायब जो हैंमिला बड़ा उन्हें रोज़गार जी !राजनीति अब स्वार्थ- नीति हैकर रहे अपनों का उपकार जी,कुर्सी में चिपके रहने की लतबस एक ही…

गुलबहार -माधुरी डड़सेना

गुलबहार होश में हमीं नहीं सनम कभी पुकार अबहो तुम्हीं निगाह में हमें ज़रा निहार अब । वक़्त की फुहार है ये रोज़ की ही बात है दिल मचल के कह रहा मुझे तुम्हीं से प्यार अब। खिल उठा गुलाब…

नशा नाश करके रहे- विनोद सिल्ला

यहां पर नशा नाश करके रहे , जो कि नशा मुक्ति पर लिखी गई विनोद सिल्ला की कविता है। नशा नाश करके रहे नशा नाश करके रहे,नहीं उबरता कोय।दूर नशे से जो रहे, पावन जीवन होय।। नशा करे हो गत…

doha sangrah

प्लास्टिक मुक्त दिवस पर दोहे-अंचल

आज प्लास्टिक ने हमारे पर्यावरण के लिए बहुत खतरा पैदा कर दिया है। तो जनजागृति हेतु यहां पर प्लास्टिक मुक्त दिवस पर दोहे दिया गया है प्लास्टिक मुक्त दिवस पर दोहे पन्नी की उपयोगिता,करें बन्द तत्काल।खतरा जीवन के लिए,जीना करे…