माँ लक्ष्मी वंदना- डॉ.सुचिता अग्रवाल “सुचिसंदीप”

jai laxmi maata

माँ लक्ष्मी वंदना चाँदी जैसी चमके काया, रूप निराला सोने सा।धन की देवी माँ लक्ष्मी का, ताज चमकता हीरे सा। जिस प्राणी पर कृपा बरसती, वैभव जीवन में पाये।तर जाते जो भजते माँ को, सुख समृद्धि घर पर आये। पावन…

धनतेरस पर कविता-सुकमोती चौहान रुची

धनतेरस पर कविता सजा धजा बाजार, चहल पहल मची भारीधनतेरस का वार,करें सब खरीद दारी।जगमग होती शाम,दीप दर दर है जलते।लिए पटाखे हाथ,सभी बच्चे खुश लगते।खुशियाँ भर लें जिंदगी,सबको है शुभकामना।रुचि अंतस का तम मिटे,जगे हृदय सद्भावना। ✍ सुकमोती चौहान…

धनतेरस त्यौहार पर कविता-संतोष नेमा “संतोष”

धनतेरस त्यौहार पर कविता धन की वर्षा हो सदा,हो मन में उल्लास तन स्वथ्य हो आपका,खुशियों का हो वास जीवन में लाये सदा,नित नव खुशी अपारधनतेरस के पर्व पर,धन की हो बौछार सुख समृद्धि शांति मिले,फैले कारोबाररोशनी से रहे भरा,धनतेरस…

दीप से दीप जले-श्याम कुँवर भारती

दीप से दीप जले  दिल से दिल मिले ,दीप से दीप जले |दिवाली मे हर मुख मुस्कान खिले |हर घर हो रोशनी से जगमग |घर गरीबो हो खुशिया दीप से दीप जले |मिट्टी घर ही नहीं झोपड़ी उजाला रहे |बच्चे…

रोशनी पर कविता -रूपेश कुमार

रोशनी पर कविता प्यार का दीपक ज़लाओ इस अंधेरे मे ,रुप का जलवा दिखाओ इस अंधेरे मे ,दिलो का मिलना दिवाली का ये पैगाम ,दुरिया दिल का मीटाओ इस अंधेरे मे ! अजननी है भटक न ज़ाए कही मंजिल ,रास्ता…

प्रकाश पर कविता-वर्षा जैन “प्रखर”

प्रकाश पर कविता मन के अंध तिमिर में क्याप्रकाश को उद्दीपन की आवश्यकता है? नहीं!! क्योंकि आत्म ज्योति काप्रकाश ही सारे अंधकार को हर लेगाआवश्यकता है, तो बस अंधकार को जन्म देने वाले कारक को हटाने कीउस मानसिक विकृत कालेपन को हटाने कीजो अंधकार…

धनतेरस के दोहे (Dhanteras Dohe)

doha sangrah

धनतेरस के दोहे (Dhanteras Dohe) धनतेरस का पुण्य दिन, जग में बड़ा अनूप।रत्न चतुर्दश थे मिले, वैभव के प्रतिरूप।। आज दिवस धनवंतरी, लाए अमृत साथ।रोग विपद को टालते, सर पे जिसके हाथ।। देव दनुज सागर मथे, बना वासुकी डोर।मँदराचल थामे…

खुशियों के दीप-एल आर सेजु थोब ‘प्रिंस’

खुशियों के दीप असंभावनाओ में संभावना की तलाश करआओ एक नया आयाम स्थापित करें।मिलाकर एक दूसरे के कदम से कदमआओ हम मिलकर खुशियों के दीप जलाये।। निराशाओं के भवंर में डूबी कश्ती में फिर से उमंग व आशा की रोशनी करे…

कविता का बाजार- आर आर साहू

कविता का बाजार अब लगता है लग रहा,कविता का  बाजार।और कदाचित हो रहा,इसका भी व्यापार।। मानव में गुण-दोष का,स्वाभाविक है धर्म।लिखने-पढ़ने से अधिक,खुलता है यह मर्म।। हमको करना चाहिए,सच का नित सम्मान।दोष बताकर हित करें,परिमार्जित हो ज्ञान।। कोई भी ऐसा…

जिंदगी के सफर पर कविता- हरीश पटेल

जिंदगी के सफर पर कविता ज़िंदगी का सफ़र है मृत्यु तक।तुम साथ दो तो हर शै मयख़ाना हो ! हर रोज.. है एक नया पन्ना।हर पन्ने में, तेरा फ़साना हो !! यहाँ हर पल बदलते किस्से हैं हर किस्से का अलग…