परिवर्तन पर कविता – पुष्पा शर्मा

परिवर्तन पर कविता – पुष्पा शर्मा परिवर्तन अवश्यंभावी है,  क्योंकि यह सृष्टि  का नियम है।नित नये अनुसंधान का क्रम है।सतत श्रम शील मानव का श्रम है। परिवर्तन   ज्ञान, विज्ञान मेंपरिवर्तन मौसम के बदलाव मेंसंसाधनों  की उपलब्धियों की होड़ में।परिवर्तन परिवार मेंसमाज…

मानव जीवन पर कविता – सुधा शर्मा

मानव जीवन मिल पाता है कभी कभी – सुधा शर्मा जीवन में ऐसा भी वक्त आता है कभी कभीकोई भीड़ में तन्हा हो जाता है कभी कभी सपनों के घरौंदे सारे बिखर जाते हैं स्मृतियों का इक महल बन जाता…

जीवन पर कविता – सुधा शर्मा

जीवन में रंग भरने दो – सुधा शर्मा कैसे हो जाता है मन  ऐसी क्रूरता करने को? अपना ही लहू बहा रहे जाने किस सुख वरणे को ? आधुनिक प्रवाह में बहे चाहें जीवन सुख गहे  वासनाओं के ज्वार में…

तू रोना सीख – निमाई प्रधान

तू रोना सीख – निमाई प्रधान तू !रोना सीख । अपनी कुंठाओं कोबहा दे…शांति की जलधि मेंअपनी महत्त्वाकांक्षाओं कोतू खोना सीख ।तू ! रोना सीख ।। कितने तुझसे रूठे ?तेरी बेरुख़ी से…कितनों के दिल टूटे ?किनके भरोसे पर खरा न…

बेताज बादशाह – वन्दना शर्मा

बेताज बादशाह – वन्दना शर्मा आज देखा मैंने ऐसा हरा भरा साम्राज्य…धन धान्य से भरपूर….सोना उगलते खेत खलियान…कल कल बहती नदियाँ….. चारों ओर शांति,सुख, समृद्धि…और वहीं देखा ऐसा बेताज बादशाह….जो अपने हरएक प्रजाजन को..परोस रहा था अपने हाथ से भोजन…