
किसान की पहचान
किसान का गुणगान कविता के माध्यम से किया गया है।
किसान का गुणगान कविता के माध्यम से किया गया है।
आज पंछी मौन सारे नवगीत (१४,१४) देख कर मौसम बिलखताआज पंछी मौन सारेशोर कल कल नद थमा हैटूटते विक्षत किनारे।। विश्व है बीमार या फिरमौत का तांडव धरा परजीतना है युद्ध नित नवव्याधियों का तम हरा कर छा रहा नैराश्य…
यह कविता मनुष्य के स्वार्थपरता को व्यक्त करते लिखी गई है
विद्यार्थी की विचलित मनःस्थिति का वर्णन
यह कविता हिंदी वर्णमाला पर आधारित है