बादल पर कविता
बादल पर कविता बादल घन हरजाई पागल,सुनते होते तन मन घायल।कहीं मेघ जल गरज बरसते,कहीं बजे वर्षा की पायल।इस माया का पार न पाऊँ,क्यों बादल बिरुदावलि गाऊँ। मैं मेघों का भाट नहीं जो,ठकुर सुहाती बात सुनाऊँ।नही अदावत रखता घन से,बे मतलब क्यों बुरे बताऊँ।खट्टी मीठी सब जतलाऊँ,क्यों बादल बिरुदावलि गाऊँ। पर मन मानी करते बदरा,सरे … Read more