सावन में भक्ति

सावन की रिमझिम फुहार के बीच संख व डमरू की आवाज मन की जड़ता को हिला देती है। एक नवीन प्रेरणा
अन्तर्मन को ऊर्जान्वित करने लगती है।
प्रकृति प्रेम सबसे बड़ी ईश्वर सेवा है।

महाशिव भोले भंडारी पर गीत

श्रावण मास में आराध्य महाशिव विषधारी, भोले भंडारी की स्तुति तांटक छन्दगीत में….

कवियों की आपबीती पर कविता

कवियों की आपबीती पर कविता शीश महल की बात पुरानी,रजवाड़ी किस्से जाने।हम भी शहंशाह है, भैया,शीश पटल के दीवाने। आभासी रिश्तों के कायल,कविताई के मस्ताने।कर्म विमुख साधो सा जीवन,अरु व्याकरणी पैमाने। कुछ तो नभमंडल से तारे,कुछ मुझ जैसे घसि यारे।काम छोड़ कविताई करते,दुखी भये सब घर वारे। मैं भी शीश पटल सत संगी,तुम भी हो … Read more

सुख-दुख की बाते बेमानी

सुख-दुख की बाते बेमानी सुख-दुख( १६,१६)मैने तो हर पीड़ा झेली।सुख-दुख की बाते बेमानी। दुख ही मेरा सच्चा साथी,श्वाँस श्वाँस मे रहे सँगाती।मै तो केवल दुख ही जानूँ,प्रीत रीत मैने कब जानी,सुख-दुख की बाते बेमानी। सुख तो केवल छलना है,मुझे निरंतर पथ चलना है।बाधाओं से कब रुक पाया,जब जब मैने मन में ठानी,सुख-दुख की बातें बेमानी। … Read more

पनघट मरते प्यास

पनघट मरते प्यास {सरसी छंद 16+11=27 मात्रा,चरणांत गाल, 2 1}.नीर धीर दोनोे मिलते थे,सखी-कान्ह परिहास।था समय वही,,अब कथा बने,रीत गये उल्लास।तन मन आशा चुहल वार्ता,वे सब दौर उदास।मन की प्यास शमन करते वे,पनघट मरते प्यास।। वे नारी वार्ता स्थल थे,रमणी अरु गोपाल।पथिकों का श्रम हरने वाले,प्रेमी बतरस ग्वाल।पंछी जल की बूंद आस के,थोथे हुए दिलास।मन … Read more