विश्व ही परिवार है- आर आर साहू

विश्व ही परिवार है- आर आर साहू ————— परिवार ————-ऐक्य अपनापन सुलभ सहकार है,इस धरा पर स्वर्ग वह परिवार है। मातृ,भगिनी, पितृ,भ्राता,रुप में,शक्ति-शिव आवास सा घर-द्वार है। बाँटते सुख-दुःख हिलमिल निष्कपट,है प्रथम कर्तव्य फिर अधिकार है। है तितिक्षा,त्याग,का आदर्श भी,प्रेम,…

विधाता छंद मय मुक्तक- फूल

विधाता छंद मय मुक्तक- फूल रखूँ किस पृष्ठ के अंदर,अमानत प्यार की सँभले।भरी है डायरी पूरी,सहे जज्बात के हमले।गुलाबी फूल सा दिल है,तुम्हारे प्यार में पागल।सहे ना फूल भी दिल भी,हकीकत हैं, नहीं जुमले।.सुखों की खोज में मैने,लिखे हैं गीत…