मृत्युभोज पर कविता
मृत्युभोज पर कविता मृत्युभोज(16,14)जीवन भर अपनो के हित में,मित हर दिन चित रोग करे।कष्ट सहे,दुख भोगे,पीड़ा ,हानि लाभ,के योग करे,जरा,जरापन सार नहीं,अबबाद मृत्यु के भोज करे। बालपने में मात पिता प्रिय,निर्भर थे प्यारे लगते।युवा अवस्था आए तब तक,बिना पंख उड़ते भगते।मन की मर्जी राग करेे,जन,मनइच्छा उपयोग करें।जरा,जरापन सार नहीं,परबाद मृत्यु के भोज करे। सत्य सनातन … Read more