मशाल की मंजिल – मनीभाई नवरत्न

मशाल की मंजिल – मनीभाई नवरत्न मशाल की मंजिल :-रचनाकार:- मनीभाई नवरत्नरचनाकाल :- 16 नवम्बर 2020 ज्ञानसतत विकासशीललगनशील,है जिद्दी वैज्ञानिक Iवह पीढ़ी दर पीढ़ीबढ़ा रहा अपना आकार Iवह कल्पना करतासिद्धांत बनाता स्वयंमेवउसकी प्रयोगशाला ये दुनिया।हम क्या ?बोतल में भरी रसायनया…

लघुकथा कैसे लिखें?

लघुकथा कैसे लिखें? लघुकथा छोटी कहानी का अति संक्षिप्त रूप है । लघुकथा का लक्ष्य जीवन के किसी मार्मिक सत्य का प्रकाशन होता है जो बहुधा इस ढंग से अभिव्यक्त होता है जैसे बिजली कौंधती है। इसमें अत्यल्प साधनों द्वारा…

तुम्हारा साथ काफी है -राजेश्वरी जोशी

तुम्हारा साथ काफी है जिंदगी में तुम्हारा साथ काफी है, हाथों में मेरे तेरा हाथ काफी है। दूर हो या हो पास कोई बात नही है, तुम साथ हो यह एहसास काफी है। लड़ते भी रहते हैं,हँसते भी रहते है,…

फिर किसी मोड़ पर वो मिल जाएँ कहीं – अनिल कुमार गुप्ता “अंजुम”

इस ग़ज़ल में किसी से मिलने की आरज़ू को बयाँ किया गया है |
फिर किसी मोड़ पर वो मिल जाएँ कहीं - ग़ज़ल - मौलिक रचना - अनिल कुमार गुप्ता "अंजुम"

धर्मपत्नी पर कविता

धर्मपत्नी पर कविता ( विधाता छंद, २८ मात्रिक ) हमारे देश में साथी,सदा रिश्ते मचलते है।सहे रिश्ते कभी जाते,कभी रिश्ते छलकते हैं। बहुत मजबूत ये रिश्ते,मगर मजबूर भी देखे।कभी मिल जान देते थे,गमों से चूर भी देखे। करें सम्मान नारी…