राम/श्रीराम/श्रीरामचन्द्र, रामायण के अनुसार,रानी कौशल्या के सबसे बड़े पुत्र, सीता के पति व लक्ष्मण, भरत तथा शत्रुघ्न के भ्राता थे। हनुमान उनके परम भक्त है। लंका के राजा रावण का वध उन्होंने ही किया था। उनकी प्रतिष्ठा मर्यादा पुरुषोत्तम के रूप में है क्योंकि उन्होंने मर्यादा के पालन के लिए राज्य, मित्र, माता-पिता तक का त्याग किया।
रामनिवास बने अतिसुंदर / तोषण कुमार चुरेन्द्र ‘दिनकर’
राम का राज आएगा फिर से कि, धीरज धार बनाए चलो सब। स्वप्न अधूरा होगा नहीं बाँधव, नींव डलेगी अवधपुर में अब।
गाँव जगा है समाज जगा है, जगा है जहाँ सकल जग सारा। राम निवास बनायेंगे मिलकर हम, पुनित यह सौभाग्य हमारा।
गिद्धराज जटायु को तारे बेर जूठे शबरी के खाए। लाज रखे मिताई की प्रभु ने सुग्रीव को है राज दिलाए।
बन गिलहरी सब कर्म करेंगे, सेवक भक्त हनुमान दुलारे। रहे सदा निज धाम सदा जो, राम लखन के पुर रखवारे।
चौदह बरस बनवास खटे हैं, मर्यादा का ज्ञान है बाँटे। कंकड़ पत्थर राह चले नित, फिक्र नहीं किये चुभते काँटे।
आज मिला है ठाँव प्रभु को, धन्य मनाएँ देश के वासी। मानों लगता सारा चमन ये, हर घर मथुरा हर घर काशी।
नल नील बनकर तोषण दिनकर, नींव की ईंट चढ़ाने लगे हैं। जय रघुनंदन जय दुखभंजन, राम सियावर गाने लगे है।
आओ संतो मिलकर हम सब, एक एक ईंट उठाते चलेंगे। रामनिवास बने अतिसुंदर, एक एक पग बढाते चलेंगे।
कर सेवा दुःखीयों की बनालो एक अलग पहचान, वक्त में जो काम आऐ वो है सच्चा इंसान। जो करे बेसहारों का मदद वो पाता है सम्मान, इसलिए करो सहायता दूसरों की क्योंकि ये है, रक्तदान – महादान।
कोई अपने ख्वाबों को पुरा करना चाहता है, अपनी दर्द भरी बिमारी से उभरना चाहता है। जो करे रक्त – दान रूपी सेवा उसका हो नित गुणगान, इसलिए करो सहायता दूसरों की क्योंकि ये है, रक्तदान – महादान।
हम सब इंसानीयत का अलख जगाऐं, बेसहारों का बनकर सहारा उनके दुःखों को भगाऐं। पाकर रक्तदान मरीजों के चेहरे पर खिल उठता है मुस्कान, इसलिए करो सहायता दूसरों की क्योंकि ये है, रक्तदान – महादान।
जो दूसरों के काम न आए बेकार है वो जिन्दगानी, जरूरतमंदों का करके सेवा लिखेंगे एक नई कहानी। देकर खुन पीड़ितों को बनाले अपना सारा जहान, इसलिए करो सहायता दूसरों की क्योंकि ये है, रक्तदान – महादान।
बेदर्द – जालिम ये जमाना, मतलबी – फरेब सिर्फ झूठ का यहाँ फसाना। कर भला तो हो भला यही है सच्चा – ज्ञान, इसलिए करो सहायता दूसरों की क्योंकि ये है, रक्तदान – महादान।
निःस्वार्थ सेवा कर दूसरों को अपना है बनाना, करके रक्तदान हमें नोकियाँ है कमाना। रक्तदान – महादान अभियान को सब मिलकर देंगे साथ, मिलेगा लाभ बेसहारों को तभी बनेगी बात। इससे बढ़ता है मनुष्य का इज्जत – मान और सम्मान, इसलिए करो सहायता दूसरों की क्योंकि ये है, रक्तदान – महादान।
——– अकिल खान रायगढ़ जिला – रायगढ़ (छ. ग.) पिन – 496440.