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  • आया समय जवानो जागो भारतभूमि पुकारती।

    आया समय जवानो जागो भारतभूमि पुकारती।

    प्रेरणा दायक कविता यह लोगों कि कार्वाई, इच्छाओं और ज़रूरतों के लिए कारणों का प्रतिनिधित्व करता है। प्रेरणा भी व्यवहार करने की दिशा के रूप मे परिभाषित किया जा सकता है। एक मकसद एक निश्चित तरीके से कार्य करने के लिए व्यक्ति को संकेत देता है या कम से कम विशिष्ट व्यवहार के लिए एक झुकाव विकसित करता है।

    struggle

    आया समय जवानो जागो, भारतभूमि पुकारती।

    आया समय जवानो जागो, भारतभूमि पुकारती।
    उठो शत्रु की सेना देखो, सीमा पर ललकारती ॥


    बैरी भारत की धरती पर, करता कितनी मनमानी।
    आज दिखा दो उन दुष्टों को, कितना है हममें पानी।

    कैसे चुप बैठे हो भाई, जननी बाट निहारती…आया समय…..


    मत भूलो राणा प्रताप को, औ झाँसी की महारानी।
    मत भूलो शमशेर शिवा को, तात्या टोपे सेनानी।
    बतला दो कैसे भारत की, सेना है हुंकारती…आया समय…..


    शपथ तुम्हें है मातृभूमि की, अरिदल को जा संहारो।
    निश्चय विजय तुम्हारी होगी, हिम्मत को तुम मत हारो।
    वह तलवार उठाओ वीरो, रिपु का शीश उतारती॥ आया समय …

    भगतसिंह, सुखदेव, राजगुरु, शेखर भी बलिदान हुए।
    मातृभूमि की खातिर वे सब, अमर शहीद महान हुए।
    भारत के जीवन की ताकत, दुश्मन का मद झारती…आया समय…


    आओ सब मिल करें प्रतिज्ञा, माँ का कष्ट मिटायेंगे।
    समय आ गया अब बढ़ने का, बोलो जय जय भारती। आया समय….

  • राखी पर कविता (चौपइया छंद ) बासुदेव अग्रवाल ‘नमन’

    (चौपइया छंद)

    यह प्रति चरण 30 मात्राओं का सममात्रिक छंद है। 10, 8,12 मात्राओं पर यति। प्रथम व द्वितीय यति में अन्त्यानुप्रास तथा छंद के चारों चरण समतुकांत। प्रत्येक चरणान्त में गुरु (2) आवश्यक है, चरणान्त में दो गुरु होने पर यह छंद मनोहारी हो जाता है।
    इस छंद का प्रत्येक यति में मात्रा बाँट निम्न प्रकार है।
    प्रथम यति: 2 – 6 – 2
    द्वितीय यति: 6 – 2
    तृतीय यति: 6 – 2 – 2 – गुरु


    राखी पर कविता (चौपइया छंद ) बासुदेव अग्रवाल ‘नमन’

    भाई-बहन
    श्रावण शुक्ल पूर्णिमा रक्षाबंधन Shravan Shukla Poornima Raksha Bandhan

    पर्वों में न्यारी, राखी प्यारी, सावन बीतत आई।
    करके तैयारी, बहन दुलारी, घर आँगन महकाई।।
    पकवान पकाए, फूल सजाए, भेंट अनेकों लाई।
    वीरा जब आया, वो बँधवाया, राखी थाल सजाई।।

    मन मोद मनाए, बलि बलि जाए, है उमंग नव छाई।
    भाई मन भाए, गीत सुनाए, खुशियों में बौराई।।
    डाले गलबैयाँ, लेत बलैयाँ, छोटी बहन लडाई।
    माथे पे बिँदिया, ओढ़ चुनरिया, जीजी मंगल गाई।।

    जब जीवन चहका, बचपन महका, तुम थी तब हमजोली।
    मिलजुल कर खेली, तुम अलबेली, आए याद ठिठोली।।
    पूरा घर चटके, लटकन लटके, आंगन में रंगोली।
    रक्षा की साखी, है ये राखी, बहना तुम मुँहबोली।।

    हम भारतवासी, हैं बहु भाषी, मन से भेद मिटाएँ।
    यह देश हमारा, बड़ा सहारा, इसका मान बढ़ाएँ।।
    बहना हर नारी, राखी प्यारी, सबसे ही बँधवाएँ।
    त्योहार अनोखा, लागे चोखा, हमसब साथ मनाएँ।।

    बासुदेव अग्रवाल ‘नमन’
    तिनसुकिया

  • मेरा परिवार- शंकर आँजणा ( परिवार दिवस पर कविता)

    संयुक्त राष्ट्र अमेरिका ने 1994 को अंतर्राष्ट्रीय परिवार वर्ष घोषित किया था। समूचे संसार में लोगों के बीच परिवार की अहमियत बताने के लिए हर साल 15 मई को अंतर्राष्ट्रीय परिवार दिवस मनाया जाने लगा है। 1995 से यह सिलसिला जारी है। परिवार की महत्ता समझाने के लिए विभिन्न कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं।

    परिवार
    15 मई अंतर्राष्ट्रीय परिवार दिवस 15 May International Family Day

    मेरा परिवार- शंकर आँजणा


    दिए की बाती समान हूँ मैं
    सदा अपनो के लिए जलता हूँ।

    रोशनी देता हूं परिवार को सदा मैं
    उनके लिए दिल में उमंगें रखता हूँ ।

    चाहे कितनी भी बाधाओं में फंसा हूँ मैं
    सदा परिवार के लिए ही खड़ा रहता हूँ ।

    आंच न आये परिवार पे सोचता हूँ मैं
    खुद को दीये सा जलाये रखता हूँ ।

    यूं तो परेशानियां बहुत आती जीवन में
    लो उनसे भी दो-दो हाथ करता रहता हूँ ।

    मेरा परिवार भी जान लुटाए मुझ पर ,
    बस इसलिए मैं भी मजबूत खड़ा रहता हूँ।

    दीए की बाती समान हूँ मैं
    सदा अपनो के लिए जलता हूँ।

    दीए का काम हैं जलकर रोशनी देना हरेक को।
    चाहता हूँ कष्ट झेलके ,मैं रोशन करूं अपनों को ।


    शंकर आँजणा नवापुरा धवेचा
    बागोड़ा जालोर-343032
    कक्षा स्नातक तृतीय वर्ष
    मो.8239360667

  • परिवार या मकान- सीमा गुप्ता (लेखिका)

    संयुक्त राष्ट्र अमेरिका ने 1994 को अंतर्राष्ट्रीय परिवार वर्ष घोषित किया था। समूचे संसार में लोगों के बीच परिवार की अहमियत बताने के लिए हर साल 15 मई को अंतर्राष्ट्रीय परिवार दिवस मनाया जाने लगा है। 1995 से यह सिलसिला जारी है। परिवार की महत्ता समझाने के लिए विभिन्न कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं।

    परिवार
    १५-मई-विश्व-परिवार-दिवस-पर-लेख-15-May-World-Family-Day

    परिवार या मकान- सीमा गुप्ता (लेखिका)


    इंसान थका हारा काम कर लौटता है,
    सारे सुख, खुशी,प्यार, हंसी मिलती है,
    उसी को परिवार बोला जाता है।,
    जहां नहीं मिले ये सब सुकून वो घर..
    पत्थर,ईंट का ही मकान बन रह जाता है,

    परिवार में खुशी की शहनाई गूंजती है,
    प्रेम,प्यार ठुमक- ठुमक डोलता है,
    सुख-दुख आपस में बांटा जाता है।

    बिखरे जहां साथ- संवाद की रोशनी,
    चमके समझ, सहिष्णुता का आलोक,
    पोषित हो अनुभव परम्पराओं की ज्योति,
    परिवार है जहां इन की अनुभूति होती।

    मकान में अलगाव पाया जाता है,
    रह करभी वहां नहीं रहा जाता है,
    मन मसोस कर जीवन गुजारा जाता है,
    पता नहीं कि एक दूसरे से क्या नाता है?

    घर को मकान नहीं परिवार बनाएं,
    खुशहाली सुख समृद्धि खान बनाएं।


    – सीमा गुप्ता (लेखिका)
    महल चौक (अलवर)

  • विश्व परिवार दिवस पर – प्रियांशी की कविता

    संयुक्त राष्ट्र अमेरिका ने 1994 को अंतर्राष्ट्रीय परिवार वर्ष घोषित किया था। समूचे संसार में लोगों के बीच परिवार की अहमियत बताने के लिए हर साल 15 मई को अंतर्राष्ट्रीय परिवार दिवस मनाया जाने लगा है। 1995 से यह सिलसिला जारी है। परिवार की महत्ता समझाने के लिए विभिन्न कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं।

    परिवार
    15 मई अंतर्राष्ट्रीय परिवार दिवस 15 May International Family Day

    विश्व परिवार दिवस पर प्रियांशी की कविता

    परिवार में होते कई सदस्य
    सबकी अलग है भूमिका ।
    कोई हर काम में तेज़ तो
    तो कोई हर काम है फीका ।

    कहीं दादा-पोते में है प्यार,
    कहीं दादी की मीठी फटकार,
    कहीं मम्मी की प्यारी  डांट,
    तो पापा के अपने ही ठांठ।

    छोटों की चहल-पहल,
    और होती बड़ों की गम्भीरता,
    इन सबके मेल से होती
    परिवार जनों में एकता।

    परिवार का साथ है तो
    लगता हर दिन त्योहार है,
    जिसमें सबकी जीत हो,
    ना होती किसी की हार है।



    -प्रियांशी मिश्रा
    उम्र:16