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  • परिवार का महत्व- कविता महदीप जंघेल

    परिवार का महत्व – कविता

    परिवार

    चाहे दुःख हो,चाहे सुख,
    परिवार ही देता है साथ ।
    चाहे खुशी हो ,चाहे गम
    उनका ही रहता है साथ।

    चाहे गम के बादल छाए,
    दुःख की धारा बहती जाए।
    हौसला बढ़ाने आता है आगे,
    परिवार का ही हाथ।
    चाहे दुःख हो ,चाहे सुख,
    परिवार ही देता है साथ।

    मिलजुलकर रहने में ही,
    सबकी भलाई है।
    हर परिवार में होता,
    प्यार और लड़ाई है।

    बड़ा निर्णय लेना हो,
    बड़े कार्य करने हो,
    सरलता से सुलझ जाता है,
    हर काज।
    क्योंकि परिवार को,
    मिलता है परिवार का साथ।

    परिवार है तो हम है,
    हम है तो परिवार।
    परिवार बिना जीवन सूना,
    लगे घोर अंधकार।

    किसके लिए जिएं,
    क्या खोएंगे ,क्या पाएंगे।
    खाली हाथ आए थे,
    और खाली हाथ जाएंगे।

    परिवार बिना जग सूना,
    निहित पूर्ण संसार।
    इसके बिना जीवन अधूरा,
    यही स्वर्ग का द्वार।

    माता पिता बच्चे बूढ़े,
    सबका है औचित्य,
    बच्चे अगर है तारे ,
    तो बड़े बुजुर्ग आदित्य।

    प्यार दुलार सब कुछ मिलता,
    परिवार के पिटारे में,
    रौशनी दमकती रहती है,
    परिवार रूपी सितारे में।

    सुख में चाहे दुःख में ,
    परिवार का होता साथ।
    संबल देने ,हौसला बढ़ाने,
    परिवार का ही होता हाथ।

    परिवार के बगैर किसी का कोई औचित्य नहीं है। हर इंसान परिवार के लिए जीता और मरता है।

    📝महदीप जंघेल
    खमतराई, खैरागढ़

  • प्रेरणा दायक कविता – आज चुकाना है ऋण तुमको अपनी माँ के प्यार का

    प्रेरणा दायक कविता

    प्रेरणा दायक कविता – आज चुकाना है ऋण तुमको अपनी माँ के प्यार का


    उठो, साथियो ! समय नहीं है बहशोभा-अंगार का।
    आज चुकाना है ऋण तुमको अपनी माँ के प्यार का॥


    प्राण हथेली पर रख-रखकर, चलना है मैदान में।
    फर्क नहीं आने देना है देश, जाति की शान में।
    सबके आगे एक प्रश्न है सीमा के अधिकार का।
    उठी, साथियो! समय नहीं है वह शोभा श्रृंगार का।


    बच्चे-बच्चे के हाथों में हिम्मत का हथियार दो।
    जो दुश्मन चढ़कर आया है उसको बढ़कर मार दी।
    समय नहीं है यह फूलों का, अंगारों के हार का।

    आज चुकाना है ऋण तुमको अपनी माँ के प्यार का।
    सबसे बढ़कर शक्ति समय की आज तुम्हारे पास है।
    तुम्हें खून से अपने लिखना आज नया इतिहास है।


    दुश्मन घुस आया है भीतर, क्या होगा घर-बार का?
    उठो, साथियो! समय नहीं है यह शोभा-श्रृंगार का।
    आज चुकाना है ऋण तुमको अपनी माँ के प्यार का।

    प्रेरणा दायक कविता

  • बुरा वक्त भी गुजर जाएगा,कविता, महदीप जंघेल

    बुरा वक्त भी गुजर जाएगा,विधा – कविता

    कविता संग्रह
    कविता संग्रह

    धीरज रखो,आस रखो,
    और प्रभु में विश्वास रखो।
    समय का खेल है,
    एक सा नही होता,
    सब सुधर जायेगा,
    ये बुरा वक्त भी,
    एक दिन गुजर जाएगा।

    किसी के लिए अच्छा,तो
    किसी के लिए बुरा है।
    किसी का दर्द आधा,
    तो किसी का पूरा है।
    सिकंदर महान नही होता,
    वक्त महान होता है।
    देखना ये काला दिन भी,
    पता नही किधर जाएगा।
    ये बुरा वक्त भी,
    एक दिन गुजर जाएगा।

    वायरस का काल है,
    मन में भय का भूचाल है।
    जिंदगी बचाने की,
    माहौल हाहाकार है।
    अपनो को खो रहे,
    गम का बोझ ढो रहे।
    निश्चित ही शांति का,
    माहौल जरूर आएगा।
    ये बुरा वक्त भी,
    एक दिन गुजर जाएगा।

    वक्त रास्ता दिखला जायेगी,
    जीवन जीना सिखला जायेगी।
    वक्त के आगे न टिक सका,
    न टिकेगा कोई इंसान।
    वक्त के आगे इंसान शैतान क्या,
    झुक जाते है भगवान।
    धैर्य रखो आस रखो,
    और प्रभु में विश्वास रखो।
    दुःख का बादल भी ,
    न जाने किधर जाएगा।
    ये भय दुःख का वातावरण,
    जल्दी सुधर जाएगा।
    ये बुरा वक्त भी,
    एक दिन गुजर जाएगा।

    📝 महदीप जंघेल
    खमतराई, खैरागढ़

  • प्रेरणा दायक कविता – तुझको विजय-पराजय से क्या?

    प्रेरणा दायक कविता

    प्रेरणा दायक कविता – तुझको विजय-पराजय से क्या?


    चल तू अपनी राह पथिक चल, तुझको विजय-पराजय से क्या?
    होने दे होता है जो कुछ, उस होने का फिर निर्णय क्या?


    भँवर उठ रहे हैं सागर में, मेघ उमड़ते हैं अम्बर में।
    आँधी और तूफान डगर में।
    तुझको तो केवल चलना है, चलना ही है तो फिर भय क्या?
    तुझको विजय पराजय से क्या? चल तू अपनी राह …..


    अरे थक गया क्यों बढ़ता चल, उठ संघर्षों से लड़ता चल।
    जीवन विषम पंथ चलता चल।
    अड़ा हिमालय हो यदि आगे, चढूँ कि लौ, यह संशय क्या?


    तुझको विजय पराजय से क्या? चल तू अपनी राह
    होने दे होता है जो कुछ, उस होने का फिर निर्णय क्या?

    प्रेरणा दायक कविता

  • अंतः प्रेरणा कविता

    प्रेरणा दायक कविता

    अंतः प्रेरणा

    निज उर की अंतः प्रेरणा, सम्मोहक उद्धार है ।
    अंतः पुर का आत्म बल , मनुज विजय आधार है।।

    मन प्रेरित अंतः प्रेरणा , पूरित करती लक्ष्य है।
    आवेगो की पहचान कर , नाहक करती भक्ष्य है।।

    जागृत कर अंतः प्रेरणा , मूल पाप का जान लो ।
    छल छिद्र कपट को त्यागकर, मूल धर्म पहचान लो।।

    निज भुजबल से ही बल मिले, छोड़ो दूजे आस को ।
    तरंगिणी अंतः प्रेरणा, फिर क्यों तड़पे प्यास को।।

    आत्मशक्ति अंतः प्रेरणा, सुखकर अंतर्ध्यान है।
    तज जागृत स्वप्न सुसुप्त को, तुर्यातित सत ज्ञान है।।

    पद्मा साहू ” पर्वणी”
    खैरागढ़ राजनांदगांव छत्तीसगढ़