
मेरे गिरधर, मेरे कन्हाई जी / रचयिता:-डी कुमार–अजस्र
प्रस्तुत गीत या गेय कविता/भजन ---- मेरे गिरधर, मेरे कन्हाई जी ---डी कुमार--अजस्र द्वारा स्वरचित गीत या भजन के रूप में सृजित है ।
प्रस्तुत गीत या गेय कविता/भजन ---- मेरे गिरधर, मेरे कन्हाई जी ---डी कुमार--अजस्र द्वारा स्वरचित गीत या भजन के रूप में सृजित है ।
गोकुल में कृष्ण जन्मोत्सव जन्म उत्सव मोहन का, देखन देव महान।भेष बदल यादव बनें ,यशोदा के मकान ।। सब देवों की नारियाँ ,ले मन पावन प्रीत। बनी रूप तज गोपियाँ ,गाती मंगल गीत।। रमे मुरारी प्रेम में , बैठे शम्भु …
तुझ संग प्रीत लगाई कृष्णा तुझ संग प्रीत लगाई कृष्णा कृष्णा कृष्णा हो कान्हा ।आओ कन्हाई आओ कन्हाईतुझ संग प्रीत लगाई कृष्णा—- कान्हा तूने राधा से प्रीत लगाकरभूले हो कैसे मोहन मथुरा में जाकर ।गोकुल की गलियों में फिरती है…
यहां पर राधा कृष्ण के अन्यय प्रेम को कविता का रूप दिया गया है।
नटखट नंद किशोर चोरी करके छुप गया , नटखट नंद किशोर ।सभी गोपियाँ ढूँढती , प्यारा माखन चोर ।।प्यारा माखन चोर , शिकायत माँ से करते ।दधि की मटकी फोड़ , चैन हम सबकी हरते ।।नियति कहे कर जोड़ ,…