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  • नानक दुखिया सब संसार- कविता – मौलिक रचना – अनिल कुमार गुप्ता “अंजुम”

    नानक दुखिया सब संसार- कविता – मौलिक रचना – अनिल कुमार गुप्ता “अंजुम”

    कविता संग्रह
    कविता संग्रह

    नानक दुखिया सब संसार
    कुछ जी रहे नगद कुछ जी रहे उधार

    नानक दुखिया सब संसार
    कुछ हैं स्वस्थ तो कुछ हैं बीमार

    नानक दुखिया सब संसार
    कुछ हैं पूर्ण आहार तो कुछ हैं निराहार

    नानक दुखिया सब संसार
    नेताओं ने किया देश का बंटाढार

    नानक दुखिया सब संसार
    कुछ नोच रहे मानवता को कुछ कर रहे परोपकार

    नानक दुखिया सब संसार
    कुछ मस्त हैं माया ,मोह में कुछ लगे मोक्ष उद्धार

    नानक दुखिया सब संसार
    कुछ जी रहे विलासिता में कुछ सादा जीवन उच्च विचार

    नानक दुखिया सब संसार
    कुछ कर रहे अपराध कुछ कर रहे उपकार

    नानक दुखिया सब संसार
    कुछ कर रहे भरपेट भोजन कुछ खा रहे रोटी अचार

  • इस धरती पर आये हैं , तो कुछ करके जाना है – कविता

    इस धरती पर आये हैं , तो कुछ करके जाना है – कविता – मौलिक रचना – अनिल कुमार गुप्ता “अंजुम”

    भारत

    इस धरती पर आये हैं
    तो कुछ करके जाना है

    यूं ही अपना ठिकाना
    वहां नहीं बनाना है

    जीते जी जीत लिया
    दिल जो सबका

    मरके उसको भी
    मुंह तो दिखाना है

    भलाई का सिला
    हमेशा भलाई होता है

    दुनिया को बनाए रखने का
    अच्छा यही बहाना है

    बुरे दिन तो सभी के
    जीवन में आते हैं

    अच्छे दिनों में उन्हें
    बदलकर हमें दिखाना है

    पाप – पुण्य क्या है
    यह हमें नहीं मालूम

    हमें तो इस धरती को
    स्वर्ग बनाना है

    इस धरा ने बहुमूल्य
    पञ्च तत्वों से हमें बनाया है

    यह जीवन हमें
    यूं ही नहीं गंवाना है

    मुश्किलें आते रहीं
    सदियों हमारे जीवन में

    उनसे लड़ इस जीवन को
    हमें ऊपर उठाना है

    संस्कारों में हमें
    देना है कुछ ऐसा

    चूंकि आज
    वैश्वीकरण का ज़माना है

    पाने में हमारी
    रूचि नहीं है

    हमने तो अब तक
    केवल देना ही जाना है

    सभ्यता ने इस विश्व को
    दिया बहुत कुछ

    हमें भी इस धरा पर
    कुछ तो करके जाना है

    इस धरती पर आये हैं
    तो कुछ करके जाना है

    मौलिक रचना – अनिल कुमार गुप्ता “अंजुम”

  • कृष्ण भजन – वंदना – मौलिक रचना – अनिल कुमार गुप्ता “अंजुम”

    कृष्ण भजन – वंदना

    कृष्ण
    कृष्ण

    रूप श्याम का मेरे मन को भाया
    रूप मुरली मनोहर का भाया
    वो जबसे जगत में आया
    सबका बेड़ा पार लगाया

    रूप श्याम का मेरे मन को भाया
    रूप मुरली मनोहर का भाया

    उसकी बातें मेरे मन को भायें
    मन में जीवन ज्योति जगायें
    उसकी महिमा का अंत नहीं है
    उसके जैसा संत नहीं है

    रूप श्याम का मेरे मन को भाया
    रूप मुरली मनोहर का भाया

    बातें उसकी अमृत बरसायें
    जीवन में अमृत घोल जायें
    वो तो है सबका सहारा
    करता सबका जीवन उजियारा

    रूप श्याम का मेरे मन को भाया
    रूप मुरली मनोहर का भाया

    बनाई है दुनिया उसी ने
    राह सच्ची दिखाई उसी ने
    मोक्ष पाने का रास्ता दिखाया
    मानव के समझ में आया

    रूप श्याम का मेरे मन को भाया
    रूप मुरली मनोहर का भाया

    उसकी लीलायें लगतीं निराली
    अब माखन चुराने की बारी
    हो बालपन या फिर युवापन
    हर एक रूप सभी को है भाया

    रूप श्याम का मेरे मन को भाया
    रूप मुरली मनोहर का भाया

    धर्म का पाठ है सबको पढ़ाया
    सत कर्म से परिचय कराया
    रूप अर्जुन को अपना दिखाया
    मन मस्तिस्क पर है ये छाया

    रूप श्याम का मेरे मन को भाया
    रूप मुरली मनोहर का भाया

    कृष्ण की महिमा सब मिल गायें
    जीवन को अपने सफल बनायें
    इस जीवन में मोक्ष पायें
    प्रभु की गोद में जगह बनायें

    रूप श्याम का मेरे मन को भाया
    रूप मुरली मनोहर का भाया

  • कविताओं के ज़रिए – नरेन्द्र कुमार कुलमित्र

    विश्व कविता दिवस प्रतिवर्ष २१ मार्च को मनाया जाता है। यूनेस्को ने इस दिन को विश्व कविता दिवस के रूप में मनाने की घोषणा वर्ष 1999 में की थी जिसका उद्देश्य को कवियों और कविता की सृजनात्मक महिमा को सम्मान देने के लिए था।

    कविता संग्रह
    कविता संग्रह

    कविताओं के ज़रिए – नरेन्द्र कुमार कुलमित्र

    दुनियाँ में चिड़िया रहे या न रहे
    कविताओं में हमेशा सुरक्षित बची रहेंगी चिड़ियाँ
    पर केवल कविता प्रेमी ही सुन सकेंगे चिड़ियों के गान
    कविताओं के ज़रिए

    दुनियाँ में प्रेम रहे या न रहे
    कविताओं में हमेशा सुरक्षित बचा रहेगा प्रेम
    पर केवल कविता प्रेमी ही समझ सकेंगे प्रेम का मर्म
    कविताओं के ज़रिए

    दुनियाँ में उजास रहे या न रहे
    कविताओं में हमेशा सुरक्षित बचा रहेगा उजास
    पर केवल कविता प्रेमी ही जी सकेंगे उजास भरी जिंदगी
    कविताओं के ज़रिए

    दुनियाँ में सच रहे या न रहे
    कविताओं में हमेशा सुरक्षित बचा रहेगा सच
    पर केवल कविता प्रेमी ही सच को अनावृत कर सकेंगे
    कविताओं के ज़रिए

    दुनियाँ में क्रांति रहे या न रहे
    कविताओं में हमेशा सुरक्षित बची रहेगी क्रांति
    पर केवल कविता प्रेमी ही फिर से ला पाएंगे क्रांति
    कविताओं के ज़रिए

    चिड़ियों का कलरव
    मनुष्यों के लिए प्रेम
    जीने के लिए उजास
    बोलने के लिए सच
    और
    विरोध के लिए क्रांति
    कविताओं में सुरक्षित बची रहेगी हमेशा।

    — नरेन्द्र कुमार कुलमित्र
    9755852479

  • प्रेम रंग होली हिंदी कविता- आरती सिंह

    होली वसंत ऋतु में मनाया जाने वाला एक महत्वपूर्ण भारतीय और नेपाली लोगों का त्यौहार है। यह पर्व हिंदू पंचांग के अनुसार फाल्गुन मास की पूर्णिमा को मनाया जाता है। होली रंगों का तथा हँसी-खुशी का त्योहार है। यह भारत का एक प्रमुख और प्रसिद्ध त्योहार है, जो आज विश्वभर में मनाया जाने लगा है। विकिपीडिया

    प्रेम रंग होली हिंदी कविता

    holi-kavita-in-hindi
    holi-kavita-in-hindi

    नफरतों की होलिका
    जलाई जब भी जाएगी
    प्रेम रंग उड़ेंगे
    होली मनाई जाएगी
    हरे-लाल-पीले-
    नीले-गुलाबी रंगों से
    अंतरमन प्रीत की
    दीवार रंगी जाएगी |

    घृणा, अहम् -भावों के
    हिरण्यकश्यपों के बीच
    एक प्रहलाद की ही
    भक्ति याद आएगी
    तोड़ सारे पाप-बंध
    नाम हरि का लिए संग
    अनल गोद बैठ के
    आंच भी ना आएगी |

    एक प्रेम शाश्वत है
    सत्ता नहीं पाप की
    काल के भी गाल पर
    लाली लगाई जाएगी
    होलिकादहन में आज
    त्याग करें बुरे काज
    तभी शुद्ध मानवता
    फाग गीत गायेगी |

    नफरतों की होलिका
    जलाई जब भी जाएगी
    प्रेम रंग उड़ेंगे
    होली मनाई जाएगी |

    – आरती सिंह