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  • love is silly thing

    love is silly thing

    You are my love .

    you are my life
    but I never say
    you are my soul
    Target & goal.
    I feel all the time happy and gay .
    from you I do.
    every work in the time .
    look at my face ,like craze
    give me more Sunshine .
    but you don’t understand
    my love and made a joke.

    so my heart is broke,

    then I knew this

    love is silly.. love is silly thing

    lyrics by: Manibhai Navratna

  • सलाम हुजूर तुझे मेरा सलाम

    सलाम हुजूर तुझे मेरा सलाम

    तेरी जुल्फों की छैयां तले है अपना मकान ।
    तेरे आशिकों के बही खाते में है अपना नाम ।
    सलाम हुजूर तुझे मेरा सलाम

    सुने हैं मेरे कानों में तेरे अदाओं के चर्चे
    बटे हैं जगह जगह तेरे कलाओं के परचे।
    लिखे हैं बस मैंने तेरे.तारीफों के कलाम ।
    सलाम हुजूर तुझे मेरा सलाम ।

    सजाया है तुझे नैनों में रब का तस्वीर बनाकर।
    बसाया है तुझे रूह में सब से छुपा कर ।
    तलाश थी तुझे हर डगर दीदार को ये आवाम।
    सलाम हुजूर तुझे मेरा सलाम।।

    lyrics by: मनीभाई नवरत्न

  • इस फूल में कांटा है

    इस फूल में कांटा है ,
    सौदा ए दिल घाटा है ।
    बाहर से रौनक लगे
    अंदर से सन्नाटा है।।
    चुमना चाहो इन्हें , तो ये चुभेेंगे।
    हर बात पे तुम्हें , ये तौलेंगे ।
    इनके तेवर है लंबे …..
    हम भले ही नाटा हैं।
    सौदा ना कर घाटा है ।
    इस फूल……..
    कोरे कागज पे, कोई भी लिखता है ।
    स्याह की बूंद भी,ज्यादा दिखता है।
    कागज सा हमें फाड़के
    मारा किसी ने चाटा है ।
    सौदा ना कर घाटा है ।
    इस फूल……..
    आज तक हमने, एक चुना था ।
    संग जीवन के, सपना बुना था ।
    पर वह भले ठहरे…
    हमको जग में बांटा है ।
    सौदा ना कर घाटा है।
    इस फूल…….

    ©मनी भाई,बसना, महासमुंद, छत्तीसगढ़

  • तू यूं ना थम

    तू यूं ना थम
    ये तेरी जगह नहीं ,कोई ऊंचा मुकाम तेरे लिए ।।
    तू यूं ना थम , ढूंढ ले अपने निशान रे।।

    छोटी-छोटी बातों में ,उलझा ना कर ,
    नजरे हमेशा मंजिल पर रखा कर ,
    बुरी कामना घेर लें तुझे, डाल खुद पे लगाम रे ।।

    माना तुझे शोहरत मिले हैं ,
    मनचाहा तुझे दौलत मिले हैं ,
    यही नहीं सब कुछ, मत बन अनजान रे ।।

    दुनिया पर डाले हैं जो हुकूमत,
    कर रहे वो इसे खून से लथपथ
    दुनिया को जरूरत तेरी , अपनी हिम्मत जान रे।
    तू यूं ना थम……

  • जब दाँतों में बढ़ती पीड़ा

    जब दाँतों में बढ़ती पीड़ा

    जब दाँतों में बढ़ती पीड़ा,बेचैनी से सब सुख धोती।
    स्वस्थ रहें अब दाँत सभी के, चमकें ऐसे जैसे मोती।।

    निकले दाँत दूध के जब थे, लगते थे कितने सुखदायी।
    धीरे-धीरे गिरे वे सभी,लेकिन नहीं हुए दु:खदायी।।

    उनके नीचे से उभरे जो, दाँत वही तो थे चिर’थायी।
    और अक्ल की दाढ़ों से ही, हुई प्रक्रिया पूरी भाई।।

    दाँत ठीक से निकले समझो, मुखड़े पर सुंदरता छाई।
    उनकी देखभाल हम कर लें,छिपी इसी में सदा भलाई।।

    थोड़ी सी भी लापरवाही,सारा चैन हमारा खोती।
    स्वस्थ रहें अब दाँत सभी के, चमकें ऐसे जैसे मोती।।

    भोजन को जो दाँत कुतरते, कहलाते छेदक या कृन्तक।
    चीड़ -फाड़ का काम करें जो,वे होते भेदक या रदनक।।

    जो भोजन को कुचल रहे हों, उनको कहते अग्र चर्वणक।
    पीसें भली भाँति जो भोजन, दाढ़ कहें या दन्त चर्वणक।।

    दिखे मसूढ़ों के बाहर जो,दन्त शिखर हैं उसमें रहते।
    ढका मसूढों से अंदर जो,उसे दन्त ग्रीवा हैं कहते।।

    दन्त मूल को जड़ भी कहते,जो जबड़े की पीड़ा ढोती।
    स्वस्थ रहें अब दाँत सभी के, चमकें ऐसे जैसे मोती।

    दाँत बने हैं जिस पदार्थ से, उसको दन्त अस्थि अब जानें।
    दाँतों में जो भाग खोखला,उसको दन्त गुहा हम मानें।।

    गूदे से जो भाग भरा हो,लगा यहाँ मज्जा कहलाने।
    डेन्टीन नामक पदार्थ से,दाँत मसूढों में ही आने।।

    मज्जा में हैं सूक्ष्म रक्त से, भरी कोशिकाएँ- नलिकाएँ।
    सूत्र हुए स्नायु इसलिए,दाँतो को सजीव हम पाएँ।।

    सदा इनेमल की पॉलिश से,दन्त अस्थि की रक्षा होती।
    स्वस्थ रहें अब दाँत सभी के, चमकें ऐसे जैसे मोती

    रचनाकार -उपमेन्द्र सक्सेना एड.
    ‘कुमुद- निवास’
    बरेली (उ प्र.)
    मोबा. नं.- 98379 44187