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  • हिन्दी कुण्डलियाँ: ऊर्जा संरक्षण

    हिन्दी कुण्डलियाँ: ऊर्जा संरक्षण

    (1)
    ऊर्जा सदा बचाइये,
    सीमित यह भंडार।
    धरती का वरदान है,
    जग विकासआधार।

    जग विकास आधार ,
    समझ कर इसे खरचना।
    बढ़े नहीं यह और ,
    सोचकर सभी बरतना।

    गीता सुन यह बात,
    चले सब दिन कल-पुर्जा।
    होगा संभव तभी,
    रहे जब रक्षित ऊर्जा।।


    (2)
    सूरज ऊर्जा पुंज है,
    इसका हो उपभोग।
    ऊर्जा संरक्षण करें,
    ले इसका सहयोग।।

    ले इसका सहयोग,
    चलायें सब कल पुर्जे।
    बचें गैस पेट्रोल,
    कोयले के कम खर्चे।

    गीता कह तकनीक,
    नये अपनाएँ यूँ कुछ।
    रहें प्रदूषण मुक्त,
    मशीनें ऊर्जा सूरज।

    ✍सुश्री गीता उपाध्याय, रायगढ़(छ.ग.)

  • ऐसे में तू जरा हमसे नजर तो मिला

    ऐसे में तू जरा हमसे नजर तो मिला

    आसमां है खुला, समां भी है खिला। ऐसे में तू जरा, हमसे नजर तो मिला।।

    चाहत से मेरे ये, शाम हुई है रंगीला।

    ऐसे में तू जरा, हमसे नजर तो मिला ।। मदहोशी छाई है , तनहाई गाई है ।
    मैं खो गया था, अब तुमने पाई है।
    अब तुमसे है वास्ता, तू ही खुदाई है।

    जिंदगी में आके मेरी किस्मत बनाई है।

    लगता है चेहरा तेरा, बारिश से धुला ।।
    ऐसे में तू जरा ,हमसे नजर तो मिला ।। अब तू मेरे करीब है , तू मेरा नसीब है ।
    बन गई है तू सब ,ये प्यार तो अजीब है ।
    अब तू ही सोच है, तू ही तरकीब है।
    तुमसे है जीवन मेरा, तू मेरा हबीब है।

    तेरे साये ही ठहरा, मेरा जीना बुलबुला।। ऐसे में तू जरा , हमसे नजर तो मिला ।।

    आसमां है खुला…..

  • अधखिली कली सी तुम अनारकली

    अधखिली कली सी तुम अनारकली
    अधखिली कली सी तुम अनारकली।
    तुम्हें देख कर मन में हो खलबली
    बुरा हाल है मेरा जब से तुम्हें देखा ।
    तुम्हें अपना बना लेने की मैंने सोच रखा।
    जानूं ना तेरी अदाओं को क्या है असली नकली ।
    ख्वाबों में मैंने तेरी तस्वीर ही बनाया।
    तू ही तू हर लम्हा मेरे ख्यालों में आया ।
    तुम ही तुम रहे दिल में बनके मनचली ।।
    जहां भी चला जाऊं आ जाए तू उसी जगह ।
    प्यार में पागल हो ना जाऊं डरता हूं इसी वजह।
    मेरे प्यार की भाषा, जाने अब गली गली ।।
    अधखिली कली सी तुम अनारकली

  • बेकरार दिल तुझे हुआ क्या

    बेकरार दिल तुझे हुआ क्या

    बेकरार दिल …तुझे हुआ क्या ?
    तुझे देख कर ही जिंदगी हुई रंगीन।
    दीदार हुआ चांद का, चेहरा तेरा आफरीन ।
    आफरीन तेरी अदा ।
    ऑफरीन सबसे जुदा
    आफ़रीन माशा अल्लाह।
    आफरीन मेरे खुदा ।
    बेकरार दिल …
    तेरी खूबसूरती अब तलक थी मस्तूरी ।
    तू ना जाने हिरणी कहां तेरी कस्तूरी ।
    बन गई तू मेरे लिए कलमा,
    मेरा सजदा मेरा दीन ।
    आफरीन तेरी अदा….

  • कोई आता जाता नहीं – रामनाथ साहू ननकी

    कोई आता जाता नहीं – रामनाथ साहू ननकी

    रिक्त हुआ मन का मदिरालय ,
    कोई आता जाता नहीं ।
    सभी शराबी बने पुजारी ,
    प्याला दिल बहलाता नहीं ।।

    आज मौन मन होकर बैठा ,
    उसी नदी के किनारे पर ।
    जिसे देख होती थी बातें ,
    इतराते थे सहारे पर ।।
    शब्द भाव सब हैं मुरझाए ,
    क्यों कोई सहलाता नहीं ।
    रिक्त हुआ मन का मदिरालय ,
    कोई आता जाता नहीं ।।

    ये मेरा दुर्भाग्य समझता ,
    मेरी ही नादानी रही ।
    पूर्ण हुआ करता मन लेकिन ,
    वक्त अधूरी गाथा कही ।।
    जो कल तक वादे करता था ,
    उसको मैं क्यों भाता नहीं ।
    रिक्त हुआ मन का मदिरालय ,
    कोई आता जाता नहीं ।।

    संकल्पों की सीढ़ी टूटी ,
    स्वप्निल महालय चूर हुआ ।
    शीश विलग होते काँधे से ,
    कितना कौन मजबूर हुआ ।।
    प्रेम – गीत होठों से रूठे ,
    मंच मंत्र कुछ भाता नहीं ।
    रिक्त हुआ मन का मदिरालय ,
    कोई आता जाता नहीं ।।

    -रामनाथ साहू " ननकी "