ऐसे में तू जरा हमसे नजर तो मिला

ऐसे में तू जरा हमसे नजर तो मिला

आसमां है खुला, समां भी है खिला। ऐसे में तू जरा, हमसे नजर तो मिला।।

चाहत से मेरे ये, शाम हुई है रंगीला।

ऐसे में तू जरा, हमसे नजर तो मिला ।। मदहोशी छाई है , तनहाई गाई है ।
मैं खो गया था, अब तुमने पाई है।
अब तुमसे है वास्ता, तू ही खुदाई है।

जिंदगी में आके मेरी किस्मत बनाई है।

लगता है चेहरा तेरा, बारिश से धुला ।।
ऐसे में तू जरा ,हमसे नजर तो मिला ।। अब तू मेरे करीब है , तू मेरा नसीब है ।
बन गई है तू सब ,ये प्यार तो अजीब है ।
अब तू ही सोच है, तू ही तरकीब है।
तुमसे है जीवन मेरा, तू मेरा हबीब है।

तेरे साये ही ठहरा, मेरा जीना बुलबुला।। ऐसे में तू जरा , हमसे नजर तो मिला ।।

आसमां है खुला…..

मनीभाई नवरत्न

यह काव्य रचना छत्तीसगढ़ के महासमुंद जिले के बसना ब्लाक क्षेत्र के मनीभाई नवरत्न द्वारा रचित है। अभी आप कई ब्लॉग पर लेखन कर रहे हैं। आप कविता बहार के संस्थापक और संचालक भी है । अभी आप कविता बहार पब्लिकेशन में संपादन और पृष्ठीय साजसज्जा का दायित्व भी निभा रहे हैं । हाइकु मञ्जूषा, हाइकु की सुगंध ,छत्तीसगढ़ सम्पूर्ण दर्शन , चारू चिन्मय चोका आदि पुस्तकों में रचना प्रकाशित हो चुकी हैं।

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