जाने कैसी बात चली है
जाने कैसी बात चली है जाने कैसी बात चली है।सहमी-सहमी बाग़ कली है।। जिन्दा होती तो आ जातीशायद बुलबुल आग जली है। दुख का सूरज पीड़ा तोड़ेसुख की मीठी रात ढली है।। नींद कहाँ बसती आँखों मेंजब से घर बुनियाद…
जाने कैसी बात चली है जाने कैसी बात चली है।सहमी-सहमी बाग़ कली है।। जिन्दा होती तो आ जातीशायद बुलबुल आग जली है। दुख का सूरज पीड़ा तोड़ेसुख की मीठी रात ढली है।। नींद कहाँ बसती आँखों मेंजब से घर बुनियाद…
घर के कितने मालिक वाह भाई !मैंने ईंटें लाई ।सीमेंट ,बालू , कांक्रीट, छड़और पसीने के पानी सेखड़ा कर लियाअपना खुद का घर।बता रहा हूँ सबकोमैं असल मालिक। ये “मैं और मेरा “मेरे होते हैं सोने के पहले।जैसे ही आयेगी…
हे मेहनतकशों इन्हें पहचान /राजकुमार मसखरे कितने राजनेताओं के सुपुत्रसरहद में जाने बना जवान !कितने नेता हैं करते किसानीये सुन तुम न होना हैरान !बस फेकने, हाँकने में माहिरजनता को भिड़ाने में महान ! भाषण में राशन देने वालेयही तो…
सपना हुआ न अपना बचपन में जो सपने देखे, हो न सके वो पूरे,मन को समझाया, देखा कि, सबके रहे अधूरे!उडूं गगन में पंछी बनकर, चहकूं वन कानन में,गीत सुरीले गा गा कर, आनन्द मनाऊं मन में!मां ने कहा, सुनो,…
प्रेम में पागल हो गया रूप देख मन हुआ प्रभावित,हृदय घायल हो गया।सुंदरी क्या कहूं मैं,तेरे प्रेम में पागल हो गया। भूल गया स्वयं को,नयनों में बसी छवि तेरी।हृदयाकांक्षा एक रह गई,बाहों में तू हो मेरी। नर शरीर मैंने त्याग…