दादा जी पर कविता

दादा जी पर कविता दादा जी के संग में , इस जीवन के ज्ञान ।मेरे सच्चे मित्र सम ,जाते हैं मैदान ।।जाते हैं मैदान ,खेल वो मुझे सिखाते ।प्रेरक गहरी बात , कहानी रोज सुनाते ।।कह ननकी कवि तुच्छ ,…

धन्य वही धन जो करे आत्म-जगत् कल्याण

धन्य वही धन जो करे आत्म-जगत् कल्याण धन्य वही धन जो करे, आत्म-जगत् कल्याण।करे कामना धर्म की,मिले मधुर निर्वाण। संग्रह केवल वस्तु का,विग्रह से अनुबंध।सुविचारों की संपदा,से संभव संबंध।। धन-दौलत के साथ ही,बढ़ता क्यों अपराध।कठिन दंड भी शांति को,कहाँ सका…

सिद्धिविनायक गणेश वंदना

सिद्धिविनायक गणेश वंदना सिद्धिविनायक देव हो,तुझे मनाऊँ आज।माँ गौरी शंकर सुवन,हो पूरण मम काज।। प्रथम पुज्य गणराज जी, बुद्धि विधाता नाथ।कष्ट हरो गणनायका,चरण  झुकाऊँ माथ।। मातु पिता करि परिक्रमा,सजते देव प्रधान।बुद्धि विनायक हैं कहे,कृपा करो भगवान ।। मोदक प्रिय गौरी…

तिजा उपास (हास्य कविता)

तिजा उपास (हास्य कविता) तिजा उपास रहे बर, काल करू भात खाय हे ।बिहना ले दरपन ला संगवारी बनाय हे।। 1 क‌ई किसीम रोटी पीठा झटपट बनात हे ।उठ उठ के आत हे, लस ले सुत जात हे।। 2 ल‌इका…

तोड़े हुए रंग-बिरंगे फूल :नरेन्द्र कुमार कुलमित्र

तोड़े हुए रंग-बिरंगे फूल टीप-टीप बरसता पानीछतरी ओढ़ेसुबह-सुबह चहलकदमी करतेघर से दूर सड़कों तक जा निकलादेखा–सड़क के किनारेलगे हैं फूलदार पौधे कईपौधों पर निकली हैं कलियाँ कईमग़र कहीं भीदूर-दूर तक पौधों परखिले हुए फूल एक भी नहींसहसा नजरें गईनहाए न…