विघटन पर कविता

विघटन पर कविता विघटन की चलती क्रिया , मत होना हैरान ।नियम सतत् प्रारंभ है , शायद सब अंजान ।।शायद सब अंजान , बदलते  गौर करो तुम ।आज अभी जो प्राप्त , रहे कल होकर ही गुम ।।कह ननकी कवि तुच्छ , चिन्ह रहते हैं उपटन ।कर जाता है काम , समय पर आकर विघटन … Read more

मूर्ख कहते हैं सभी

मूर्ख कहते हैं सभी मूर्ख कहते हैं सभी,उसका सरल व्यवहार है,ज्ञान वालों से जटिल सा हो गया संसार है। शब्द-शिल्पी,छंद-ज्ञाता,अलंकारों के प्रभो!क्या जटिल संवाद से ही काव्य का श्रृंगार है? जो नपुंसक हैं प्रलय का शोर करते फिर रहे,नव सृजन तो नित्य ही पुरुषत्व का उद्गार है। द्वेष रूपी खड्ग से क्या द्वेष का वध हो … Read more

अनुभूति भाव पर कविता

अनुभूति भाव पर कविता दृश्य देख अनुभूति से ,             आया अब विश्वास ।अपने उन्नति के लिए ,             लोग करे ठग रास ।। जिसका अनुभव है तुझे ,              करो वही तुम कृत्य ।तुझमें प्रतिभा है भरी ,        … Read more

भाषा बड़ी है प्यारी -बासुदेव अग्रवाल नमन

भाषा बड़ी है प्यारी भाषा बड़ी है प्यारी, जग में अनोखी हिन्दी,चन्दा के जैसे  सोहे, नभ में निराली हिन्दी। इसके लहू में संस्कृत, थाती बड़ी है पावन,ये सूर, तुलसी, मीरा, की है बसाई हिन्दी। पहचान हमको देती, सबसे अलग ये जग में,मीठी  जगत में सबसे, रस की पिटारी हिन्दी। हर श्वास में ये बसती, हर … Read more

अरे लकीर के फकीरों

अरे लकीर के फकीरों अपने-अपने मुहावरों परवे और तुमजिते आ रहे हो सदियों सेमुहावरा कभी बदला ही नहींन उनका न तुम्हारा शासक हैं वेबागडोर है उनके हाथों मेंवे अपने मुहावरों पररहते हैं सदा कायम तुम्हारे लिएवे जो भी कहते हैंकभी नहीं बदलतेचाहे जो हश्र हो तुम्हारावे अपने मुहावरों के पक्के हैं एक बार कह देने … Read more