विघटन पर कविता
विघटन पर कविता विघटन की चलती क्रिया , मत होना हैरान ।नियम सतत् प्रारंभ है , शायद सब अंजान ।।शायद सब अंजान , बदलते गौर करो तुम ।आज अभी जो प्राप्त , रहे कल होकर ही गुम ।।कह ननकी कवि तुच्छ , चिन्ह रहते हैं उपटन ।कर जाता है काम , समय पर आकर विघटन … Read more