गांव पर दोहे
शहर नगर में विष घुले, करे जोर की शोर।
शुद्ध हवा बहने लगी, चलो गांव की ओर।।१।।
तेज गमन की होड़ में, उड़े बड़े ही धूल।
मुक्त रहो इस खेल से, बात नही तुम भूल।।२।।
शांत छांव में मन मिले, कष्ट मिटे अति दूर।
हरा भरा तरु देखना, घूमें गांव जरूर।।३।।
धान फसल की बालियां, लगते कनक समान।
अन्न उगाकर बांटते, देव स्वरूप किसान।।४।।
गाय पहट पंछी उड़े, कई देख लो चाल।
कमल खिले जब रवि उगे, नदी और है ताल।।५।।
नीर भरे सब नारियां, नाचे वन में मोर।
आम डाल कोयल कुके, चलो गांव की ओर।।६।।
स्वरचित – तेरस कैवर्त्य’आंसू’
सोनाडुला, (बिलाईगढ़)
जिला – बलौदाबाजार (छत्तीसगढ़)
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