यहाँ माँ पर हिंदी कविता लिखी गयी है .माँ वह है जो हमें जन्म देने के साथ ही हमारा लालन-पालन भी करती हैं। माँ के इस रिश्तें को दुनियां में सबसे ज्यादा सम्मान दिया जाता है।
मां की आंचल पर कविता
मां तुने अपने आंचल में सृष्टि को समेटा है, खुद दर्द सहके हमें जीवन दिया है,
पलकों के झूले में मुझको झूला दे, लोरी सुना के तु फिर से सुला दे,
आंचल में तेरी है सारा जहाँँ, वो मेरी प्यारी और न्यारी मां,
दौलत सोहरत सब है मेरे पास, सिर्फ तु नहीं है मेरे पास,
वक्त बदल रहा है कि बदल रहे हम, जाने कौन सी मजबूरी है हमारी,
मां परीयों की कोई कहानी सुना दे, मां चांद पर एक छोटा सा घर बना दे,
मां तेरी याद मुझे बहुत सताती है, पास आ जाओ थक गया हूं बहुत,
मुझे अपनी आंचल में सुलाओ, उंगलियाँ फेर कर मेरे बालों में एक बार, फिर वही बचपन की लोरी सुनाओ ।। ✍?✍? *परमानंद निषाद*
कामना है न हो कोई सरहद न हो कोई बाधा भाषाओं की विविधताओं की जाति-पांतियों की सभी दिलों में बहे एक-सी सरिता सबके कानों में गूंजे एक-से तराने सबके कदम उठें और करें तय बीच के फांसले यह सब नहीं है असंभव आदिकाल में था ऐसा ही फिर आज संभव क्यों नहीं
*प्रकृति की सुंदरता को देखकर,* *मेरा मन प्रसन्न हो गया,* *प्रकृति की गोद मे अपनी सारी जिंदगी यही कही खो गया,* *कभी सुखी धरा पर धूल उड़ती है,* *तो कभी हरियाली की चादर ओढ़ लेती है,* *प्रकृति की सुंदरता हो ना हो,* *उसमे सादगी होना चाहिए,* *प्रकृति मे खूशबू हो ना हो,* *उसमे महक होना चाहिए,* *प्रकृति मे हमेशा सुंदरता हो ना हो,* *प्रकृति की सुंदरता हमेशा,* *बनाये रखने की कोशिश करना चाहिए,* *प्रकृति हमारे जीवन के अमूल्य हिस्सा है,* *उसकी सुंदरता हमेशा बनाये रखो,* *और पेड़ लगाते जाओ।।* ✍?✍? *परमानंद निषाद*
हौसला हर व्यक्ति के जीवन में महत्वपूर्ण है, खासकर जब हम परिस्थितियों के खिलाफ स्थिर रहने के लिए अपना विश्वास खो देते हैं। यह हमें हार नहीं मानने की शक्ति और उत्साह प्रदान करता है, और हमें अग्रसर करने के लिए पुनः प्रेरित करता है।
हिंदी कविता : हौसलों की उड़ान
हौसलों की उड़ान मत कर कमजोर, अभी पूरा आसमान बाकी है, परिंदों को दो खुला आसमान, सपनों को परिंदों सी उड़ान दो।
यूं जमीन पर बैठकर, क्यूं आसमान देखता है, पंखों को खोल जमाना, सिर्फ उड़ान देखता है। तेरा हर ख्वाब सच हो जाए, रख जज्बा कुछ करने का ऐसा, कर भरोसा खुद पर इतना, कि तेरी सपनों की उड़ान नजर आए।
सपनों की उड़ान लेकर चली, एक नन्ही सी जान, हौसले बुलंद थे उसके, छूना था उसे आसमान। सपनों की उड़ान आसान नहीं होती, इसके पीछे त्याग छुपा होता है, इसके ये सपनों की उड़ान हैं जनाब, यहां ऐसे ही उड़ना पड़ता है।
हौसले की उड़ान भरकर, छू लूंगा मैं लक्ष्य रूपी आसमान, सफलता मेरे कदम चूमेगी, कदमों में होगा ये सारा जहां।।
*परमानंद निषाद*
हौसले पर हिंदी गजल
कम भी नहीं है हौसले गिर भी पड़ी तो क्या हुआ। है जिन्दगी के सामने बाधा खड़ी तो क्या हुआ ।। चल दूँ जिधर खुद रास्ता मिलता मुझे ही जाएगा। टूटी अगर रिश्तों की’ इक नाजुक कड़ी तो क्या हुआ।।
मैं ढूँढ लूँगी राह को अपना हुनर मैं जानती। वो साथ दे या बाँध ही दे हथकड़ी तो क्या हुआ।। सर पे बिठा रक्खा था मैंने बेवफा को आज तक। सारी हदों को तोड़कर मैं ही लड़ी तो क्या हुआ।।
जब गीत सारे प्यार के मुरझा गये सहराहों में। फिर बारिशों की लग पड़ी रोती झड़ी तो क्या हुआ। इक भूल ने ही जिन्दगी जीना हमें सिखला दिया। गर वक्त की चोटें हमें खानी पड़ी तो क्या हुआ।।
ताकत यही मैं टूटकर बिखरी नहीं हूँ आज तक। आराम की आई नहीं अब तक घड़ी तो क्या हुआ।।