Blog

  • त्याग और विश्वास जहाँ हो सच्चा प्रेम वही है- डॉ एन के सेठी

    सच्चा प्रेम वही

    प्रेम करो निस्वार्थ भाव से
    स्वार्थ प्रेम नही है।
    त्याग और विश्वास जहाँ हो
    सच्चा प्रेम वही है।।


    बिना प्रेम के ये जीवन ही
    लगता सूना सूना ।
    प्रेम होय यदि जीवन में तो
    विश्वास बढे दूना।।


    ईश्वर की स्वाभाविक कृति है
    प्रेम कृत्रिम नही है।
    प्रेम में होती उन्मुक्तता
    स्वच्छन्दता नही है।।


    प्रेम बस देना जानता है
    नाम नहीं लेने का।
    आकंठ डूब जाता जिसमे,
    नाम नही खोने का।।


    इंसानियत की नई राहे ,
    प्रेम ही दिखाता है।
    अहंभाव से ऊपर उठना
    प्रेम ही सिखाता है।।


    जुबां खामोश हो जाती है,
    नजर से बयां होता।
    प्रेम इक पावन अहसास है
    मन से मन का होता।।


    प्रेम सुवासित करता मन को,
    जीवन सफल बनाता।
    सृष्टि के कण कण में सुशोभित
    होकर ये महकाता।।


    सहज और निर्विकार प्रेम
    प्रेरित ये करता है।
    लौकिक नही अलौकिक है ये
    देने से बढ़ता है।।


    जड़ व चेतन सब जगह व्याप्त
    नही प्रेम की भाषा।
    तोड़े नही जोड़ता है ये
    देता यही दिलासा।।


    प्रेम का पात्र वह होता है
    जिसकी ना अभिलाषा।
    बदले में माँगे ना कुछ भी
    ना हो कोई आशा।।

    डॉ एन के सेठी

  • दर्द कागज़ पर बिखरता चला गया

    दर्द कागज़ पर बिखरता चला गया

    दर्द कागज़ पर बिखरता चला गया
    रिश्तों की तपिश से झुलसता चला गया
    अपनों और बेगानों में उलझता चला गया
    दर्द कागज़ पर बिखरता चला गया

    कुछ अपने भी ऐसे थे जो बेगाने हो गए थे
    सामने फूल और पीछे खंजर लिए खड़े थे
    मै उनमें खुद को ढूंढता चला गया
    दर्द कागज़ पर बिखरता चला गया

    बहुत सुखद अहसासों से
    भरी थी नाव रिश्तों की
    कुछ रिश्तों ने नाव में सुराख कर दिया
    मै उन सुराखों को भरने के लिए
    पिसता चला गया
    दर्द कागज़ पर बिखरता चला गया

    बहुत बेशकीमती और अमूल्य होते हैं रिश्ते
    पति पत्नी से जब माँ पिता में ढलते हैं रिश्ते
    एक नन्हा फरिश्ता उसे जोड़ता चला गया
    दर्द कागज़ पर बिखरता चला गया

    अनछुये और मनचले होते हैं कुछ रिश्ते
    दिल की गहराई में समाये
    और बेनाम होते हैं कुछ रिश्ते
    उस वक्त का रिश्ता भी गुजरता चला गया
    दर्द कागज़ पर बिखरता चला गया

    वक़्त और अपनेपन की
    गर्माहट दीजिये रिश्तों को
    स्वार्थ और चापलूसी से
    ना तौलिये रिश्तों को
    दिल से दिल का रिश्ता यूँ ही जुड़ता जायेगा
    यही बात मै लोगों को बताता चला गया
    दर्द कागज़ पर बिखरता चला गया
    °°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°

    वर्षा जैन “प्रखर”
    दुर्ग (छत्तीसगढ़)
  • आधुनिक शिक्षा पर कविता

    आधुनिक शिक्षा पर कविता
                               

     सिसक-सिसक कर रोती है बचपन ! 
     आधुनिक शिक्षा की बोझ ढोती है बचपन!! 
            

    पढ़ाई की इस अंधाधुंध दौर में ,
    बचपन ना खिलखिलाता अब भोर में 
    सुबह से लेकर शाम तक, 
     पढ़ते-पढ़ते जाते हैं थक , 
     खिलने से पहले मुरझा जाती है चमन ! 

    सिसक-सिसक कर रोती है बचपन , 
    आधुनिक शिक्षा की बोझ ढोती है बचपन!! 

     सब मिलकर करे बचपन सरकार , 
     मिले बचपन को मूलभूत-अधिकार, 
    ना वंचित हो कोई शिक्षा से, 
     कोई बचपन कटे ना भिक्षा से , 
    है हर घर का बस यही चमन ! 

     सिसक-सिसक कर रोती है बचपन , 
    आधुनिक शिक्षा की बोझ ढोती है बचपन! ! 

    बाल-श्रमिक ना बंधुआ मिले , 
    मीठी मुस्कान से बचपन खिले , 
      फुटपाथ पर ना शाम ढले , 
     नंगे पांव ना बचपन चले , 
    पेट की आग में ना भीगे नयन ! 

    सिसक-सिसक कर रोती है बचपन , 
     आधुनिक शिक्षा की बोझ ढोती है बचपन!! 

    बचपन को ना छीने हम,  
      अपनी चाहत की ऊंचाई में , 
    आधुनिकता के चक्कर में ही , 
    शिक्षा और संस्कार गई है खाई में , 
     बोझ कम कर दो बालपन की , 
    फिर चहकने लगेगी गुलशन ! 

      सिसक-सिसक कर रोती है बचपन , 
     आधुनिक शिक्षा की बोझ ढोती है बचपन ! ! 

                 दूजराम साहू
             निवास -भरदाकला
               तहसील -खैरागढ़
            जिला -राजनांदगांव (छ.ग.)
    कविता बहार से जुड़ने के लिये धन्यवाद

  • नारी पर आधारित कविता

    नारी पर आधारित कविता

    Naari
    नारी चेतना

    नारी जगत का सार
         नारी सृष्टि काआधार
             जननी वो कहलाती 
                 मान उसे दीजिये।।
                 ???
    नारी ईश्वर का रूप
         उसकी शक्ति अनूप
             देती है सबको प्यार
                  उसे खुश कीजिये।।
                   ???
    नारी हृदय विशाल
         रखती है खुशहाल
              ममता का आगार है
                  दुख मत दीजिए।।
                  ???
    सृष्टा की अद्भुत सृष्टि
        करती वात्सल्य वृष्टि
            नारी के रूप अनेक
                 हर रूप पूजिये।।
                 ???
    नारी में है मानवता
        त्याग और पावनता
             शक्ति का स्वरूप नारी
                   विश्वास भी कीजिये।।
                  ???
    नारी है ईश वंदन
       नारी माथे का चंदन
            नारी नही है अबला
                  सहयोग कीजिये।।
                   ???
    नारी है जग की आशा
        शब्द नही पूरी भाषा
            रंगों की है फुलवारी
                  देवी सम पूजिये।।
                  ???
    माँ बहन बेटी नारी
       पत्नी है पति की प्यारी
            नारी से बड़ा न कोई
                 वंदन भी कीजिये।।

    ??????????

             ©डॉ एन के सेठी
                  बाँदीकुई(दौसा)
    कविता बहार से जुड़ने के लिये धन्यवाद

  • ताजमहल पर कविता -शशिकला कठोलिया

    ताजमहल पर कविता

    मौत भी मिटा नहीं सकी ,
    मन में रहे यादें हर पल ,
    भारत के आगरा में बना ,
    भव्य आकर्षक ताजमहल ।

    फैली है इसकी खूबसूरती ,
    देख सकते जहां तक ,
    सात आश्चर्य में से एक ,
    सुंदरता इसकी है आकर्षक,                           
    विस्तृत क्षेत्र में फैला ,
    भारत की सांस्कृतिक स्मारक,                          
    यादों को संजोए रखने ,
    शाहजहां की बनी सहायक,                         
    महारानी को याद रखने ,
    निकाला उसने सुंदर हल ,
    भारत के आगरा में बना ,
    भव्य आकर्षक ताजमहल ।

    चारो कोनों पर स्थित ,
    आकर्षक चार मीनारें, 
    वृहद है उसका क्षेत्र ,
    यमुना नदी के किनारे ,
    वहां की फिजाओं में ,
    गुंजित प्रेम की पुकारे ,
    प्रेम रस से पुण्य मिलता ,
    वहां की वादियां बहारें ,
    मुमताज को निहारने ,
    उसने की अद्भुत पहल ,
    भारत के आगरा में बना ,
    भव्य आकर्षक ताजमहल ।

    सबसे सुंदर है इमारत ,
    बनी सफेद संगमरमर ,
    सपनों का स्वर्ग सा लगता ,
    सौंदर्य पर सब न्योछावर, 
    बयाँ करती प्रेम कहानी ,
    चलती बयार वहां सर-सर, 
    कलात्मक आकर्षण का केंद्र, 
    लाखों कुर्बान सौंदर्य पर ,
    प्रेम में लुटा दिया जिसने ,
    अपना तन मन धन बल, 
    भारत के आगरा में बना ,
    भव्य आकर्षक ताजमहल ।

    गुंबद के नीचे कक्ष में ,
    कब्र बना राजा रानी ,
    शाहजहां और मुमताज ,
    रिश्ता था अति रूहानी ,
    राजा के प्रेम का प्रतीक ,
    दो दिलों की प्रेम कहानी ,
    संपूर्ण विश्व का यह ताज ,
    सुन लो सब के जुबानी ,
    भुला के ना भुलाया ,
    यादें सताई जिसकी पल-पल,                          
    भारत के आगरा में बना ,
    भव्य आकर्षक ताजमहल।

     ताजमहल मुमताज के लिए,                          
    शाहजहां के प्रेम का प्रतीक, 
    दर्शाती प्रेम गाथा को ,
    प्रेम था उसका आंतरिक ,
    दीवारों पर कांच के टुकड़े ,
    जगह है अति ऐतिहासिक,                     
    मुगलकालीन स्थापत्य कला, 
    भारतीय मुस्लिम इस्लामिक ,
    रहती है हमेशा वहां ,
    विदेशियों का चहल-पहल ,
    भारत के आगरा में बना ,
    भव्य आकर्षक ताजमहल ।

    रात की चांदनी में ,
    लगता बहुत सुंदर मनोरम,                          
    आकर्षक लान सजावटी पेड़, 
    देख मिट जाता सारा गम ,
    बाहर ऊंचा दरवाजा ,
    कारीगरों का कठिन परिश्रम ,
    राजा रानी की प्रणय गाथा ,
    सुन आंखे हो जाती  नम ,
    प्रेम की यादगार बनी ,
    अतीत के वो कल ,
    भारत के आगरा में बना ,
    भव्य आकर्षक ताजमहल ।

    श्रीमती शशिकला कठोलिया, अमलीडीह, डोंगरगांव, जिला- राजनांदगांव( छत्तीसगढ़ )

    कविता बहार से जुड़ने के लिये धन्यवाद