प्रकाश पर कविता
मन के अंध तिमिर में
क्या
प्रकाश को उद्दीपन की आवश्यकता है?
नहीं!!
क्योंकि आत्म ज्योति का
प्रकाश ही सारे अंधकार को हर लेगा
आवश्यकता है, तो बस अंधकार को
जन्म देने वाले कारक को हटाने की
उस मानसिक विकृत कालेपन को हटाने की
जो अंधकार का जनक है
यदि अंधकार ही नहीं होगा
तो मन स्वतः ही प्रकाशित रहेगा
मन प्रकाशित होगा तो
वातावरण जगमगायेगा
वातावरण जगमगायेगा तो
खुशियाँ स्वयं खिल उठेंगी
खुशियाँ खिलेंगी तो
सभी मुस्कुराएंगे
और यही दीवाली की सार्थकता होगी
वर्षा जैन “प्रखर”
दुर्ग (छत्तीसगढ़)
कविता बहार से जुड़ने के लिये धन्यवाद