धीरे चल जिंदगी ज्वलंत सवालों के जवाब अभी बाकी है, जिसने भी तोड़े दिल ऐसे चेहरों से हिसाब अभी बाकी है,
अंधियारी गहन रातों में ही बेहिचक संजोए हसीन पल, पूनम की रात और चांद चांदनी का शबाब अभी बाकी है,
पीता रहा अश्कों के जाम सूनी अंखियों में यादें लेकर, अतृप्त होठों की बुझ जाए प्यास नेह की शराब अभी बाकी है,
प्यार के हिंडोले में सुध बुध खोया मन हिमगिरि सा बदन, दीदार कर लूं जी भर चेहरे से हटना नकाब अभी बाकी है,
इसके पहले गमों की आग में झुलसे जीवन सफर मौत तक का, ‘सजल’ गुजरे हर लम्हा यादों में ऐसे ख्वाब अभी बाकी है। ★★★★★★★★★★★★ मदन मोहन शर्मा ‘सजल’ कोटा, (राजस्थान)
मदन मोहन शर्मा ‘सजल’ के दोहे
1- बाट निहारै थक गए,खंजन नैन चकोर। मिलन आस टूटी नही, काया हुई कठोर।।
2-अधरों पर मुस्कान है, नयन धीर गंभीर। बैठी शगुन मनावती,किसे बतावै पीर।।
3- विरह अगन के ज्वाल में, झुलसत गात अनंग। शाम ढले जलती चिता, जलते दीप पतंग।।
4- छवि मधुरम हिय में बसी, मानो फूल सुवास। मन चंचल भौंरा फिरै, करने को परिहास।।
5-मृगनयनी दर्पण लखै, कर सोलह श्रृंगार। पिया मिलन की आस में, तड़फत बारम्बार।।
6- सजना है किस काम का,पिया बसै परदेश। चंदा बादल ओट में,कुमुदिनी हृदय क्लेश।।
★★★★★★★★★★★★ मदन मोहन शर्मा ‘सजल’
बात एक ही तो है
~~~ हँस कर तू गुजारे या मैं गुजारूं जिंदगी, बात एक ही तो है
यादों में करवट तू बदले या मैं बदलूं, बात एक ही तो है।
वफा की रागनी तू बने या मैं बनूं, बात एक ही तो है।
प्यार के सफर पर तू चले या मैं चलूं, बात एक ही तो है।
सवाल तू बने और जवाब मैं बनूं, बात एक ही तो है।
नजरों से घायल तू करे या मैं करूं, बात एक ही तो है।
इश्क के दरिया में तू उतरे या मैं उतरूं, बात एक ही तो है।
जब लिखना तय है मोहब्बत की दास्तां बंजर दिलों में, पहल तू करे या मैं करूं बात एक ही तो है। ★★★★★★★★★★★★ मदन मोहन शर्मा ‘सजल’
याद करो वो कहानी, मां अमृता की कुर्बानी , काला था वो मंगल , रोया घना जंगल ।
खेजराली हरियाली, पर्यावरण निराली, सुंदर वृक्षों का घर , रेतीली धरा पर।
वारी हूं मैं बलिहारी, हार गए अहंकारी , प्राण आहूति देकर , शिक्षा दी है न्यारी।। ।।
अरुणा डोगरा शर्मा यह घनाक्षरी माता अमृता देवी जी की याद में लिख रही हूं जिनका बलिदान हमें पर्यावरण को बचाने के लिए सबसे बड़ी शिक्षा है । कविता बहार से जुड़ने के लिये धन्यवाद