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  • शहीदों पर कविता-माधवी गणवीर

     शहीदों पर कविता 

    वतन के लिए कुर्बान होने की बात है
    बस अपना फर्ज निभाने की बात है।

    कोई हमसे पूछे दिलो का जज्बा,
    हसीन कायनात सजाने की बात है।

    वतन पे जान लुटाने वालो,
    देश भक्ति का जज्बा जगाने की बात है।

    अमन और शान्ति से देश रहेगा
    हरमो करम खुदा की होने की बात है।

    हसीन सौगाते दे जायेगे मुल्क को
    दिलो में भाई चारा लाने की बात है।

          माधवी गणवीर
          डोंगरगांव
    जिला -राजनादगांव
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  • मदन मोहन शर्मा सजल की रचना

    मदन मोहन शर्मा सजल द्वारा रचित रचनाएँ

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    अभी बाकी है

    धीरे चल जिंदगी ज्वलंत सवालों के जवाब अभी बाकी है, 
    जिसने भी तोड़े दिल ऐसे चेहरों से हिसाब अभी बाकी है,

    अंधियारी गहन रातों में ही बेहिचक संजोए हसीन पल, 
    पूनम की रात और चांद चांदनी का शबाब अभी बाकी है,

    पीता रहा अश्कों के जाम सूनी अंखियों में यादें लेकर, 
    अतृप्त होठों की बुझ जाए प्यास नेह की शराब अभी बाकी है,

    प्यार के हिंडोले में सुध बुध खोया मन हिमगिरि सा बदन, 
    दीदार कर लूं जी भर चेहरे से हटना नकाब अभी बाकी है,

    इसके पहले गमों की आग में झुलसे जीवन सफर मौत तक का, 
    ‘सजल’ गुजरे हर लम्हा यादों में ऐसे ख्वाब अभी बाकी है।
    ★★★★★★★★★★★★
    मदन मोहन शर्मा ‘सजल’
    कोटा, (राजस्थान)

    मदन मोहन शर्मा ‘सजल’ के दोहे

    1- बाट निहारै थक गए,खंजन नैन चकोर।
    मिलन आस टूटी नही, काया हुई कठोर।।

    2-अधरों पर मुस्कान है, नयन धीर गंभीर।
    बैठी शगुन मनावती,किसे बतावै पीर।।

    3- विरह अगन के ज्वाल में, झुलसत गात अनंग।
    शाम ढले जलती चिता, जलते दीप पतंग।।

    4- छवि मधुरम हिय में बसी, मानो फूल सुवास।
    मन चंचल भौंरा फिरै, करने को परिहास।।

    5-मृगनयनी दर्पण लखै, कर सोलह श्रृंगार।
    पिया मिलन की आस में, तड़फत बारम्बार।।

    6- सजना है किस काम का,पिया बसै परदेश।
    चंदा बादल ओट में,कुमुदिनी हृदय क्लेश।।

    ★★★★★★★★★★★★
    मदन मोहन शर्मा ‘सजल’

    बात एक ही तो है

    ~~~
    हँस कर तू गुजारे या मैं गुजारूं जिंदगी, 
    बात एक ही तो है

    यादों में करवट तू बदले या मैं बदलूं, 
    बात एक ही तो है।

    वफा की रागनी तू बने या मैं बनूं, 
    बात एक ही तो है।

    प्यार के सफर पर तू चले या मैं चलूं, 
    बात एक ही तो है।

    सवाल तू बने और जवाब मैं बनूं, 
    बात एक ही तो है।

    नजरों से घायल तू करे या मैं करूं, 
    बात एक ही तो है।

    इश्क के दरिया में तू उतरे या मैं उतरूं, 
    बात एक ही तो है।

    जब लिखना तय है मोहब्बत की दास्तां 
    बंजर दिलों में, 
    पहल तू करे या मैं करूं
    बात एक ही तो है।
    ★★★★★★★★★★★★
    मदन मोहन शर्मा ‘सजल’

  • मां अमृता की कुर्बानी-अरुणा डोगरा शर्मा

    मां अमृता की कुर्बानी

     याद करो वो कहानी, 
    मां अमृता की कुर्बानी ,
    काला था वो मंगल ,
    रोया घना जंगल । 

    खेजराली हरियाली, 
    पर्यावरण निराली, 
    सुंदर वृक्षों का घर ,
     रेतीली धरा पर।

     वारी हूं मैं बलिहारी, 
    हार गए अहंकारी ,
    प्राण आहूति देकर ,
    शिक्षा दी है  न्यारी।। ।। 

    अरुणा डोगरा शर्मा
    यह घनाक्षरी माता अमृता देवी जी की याद में लिख रही हूं जिनका बलिदान हमें पर्यावरण को बचाने के लिए सबसे बड़ी शिक्षा है । 
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  • बस्तर धाम पर कविता-शशिकला कठोलिया

    बस्तर धाम पर कविता

    उच्च गिरि कानन आच्छादित,   

    छत्तीसगढ़ का यह भाग, 
    प्रकृति की गोद में बसा ,
    सुंदर पावन बस्तर धाम ।

    नदियों का कल कल प्रवाह ,
    कर रही सुंदर दृश्यों की सर्जना,
    गिराते हराते जलप्रपात ,
    करते जैसे वारिद गर्जना ।

    सघन विशाल शैल श्रृंखलाएं ,
    कह रही वनों की व्यथा ,
                       शिलाओ पर संगीतिक ध्वनियां,                     
    सुना रही सुरम्य कथा ।

    बिखरा पड़ा है चारों ओर ,
    कांगेर का प्राकृतिक वैभव ,
    सुंदर कहानी बता रही है , 
    वन्य पक्षियों की अनवरत कलरव।

    दूधिया पानी फ़ौव्वारो का ,
    दिख रहा रूप विलक्षण ,
    असंख्य श्वेत मोतियों की ,
    वर्षा हो रही प्रतिक्षण ।

    रहस्य छुपाती कुटुमसर गुफा ,
    दांतो तले उंगली दबाते ,
    फैला है अंधेरों का साम्राज्य,
    सबके मन को है लुभाते ।

    चित्रकूट तीरथगढ़ जैसे ,
    यहां है सुंदर जलप्रपात ,
    दूध सी सरीखी बहती ,
    अविरल धारा निपात ।

    बारसूर का मंदिर अनुपम ,
    बनावट उसकी बेमिसाल,
    बत्तीस खंभों पर खड़ा ,
    विनायक की प्रतिमा विशाल।

    विभिन्न प्रजातियों से ,
    घिरा वन है घनघोर ,
    विशाल घाटियाँ है वहां ,
    नहीं दिखता कहीं छोर ।

    बैलाडीला में है स्थित ,
    विपुल लोहे की खदान ,
    विदेशों में निर्यात करते ,
    पहुंचाते हैं जापान ।

    मां दंतेश्वरी का पावन मंदिर,
    है परम पुनीत ,
                             कह रही प्राचीन कथाएं,                          
    अलौकिक उसका अतीत ।

    संपूर्ण वन प्रांतर में ,
    छाई हुई है हरियाली ।
    नैसर्गिक सुंदरता से भरा ,
    बस्तर की छटा है निराली ।

    श्रीमती शशिकला कठोलिया, 
    शिक्षिका ,अमलीडीह, डोंगरगांव
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  • रावण दहन करो

    रावण दहन करो

    ravan-dahan-dashara
    ravan-dahan-dashara

    भीतर के रावण का दमन करो,
    फिर तुम रावण का दहन करो।
    पहले राम राज्य का गठन करो
    फिर तुम रावण का दहन करो।

    चला लेना तुम बाण को बेशक़,
    जला देना निष्प्राण को बेशक़।
    बचा लेना तू विधान को बेशक़,
    पहले राम का अनुशरण करो।
    फिर तुम…..

    पहले राम बनकर दिखलाओ,
    सबको तुम इंसाफ़ दिलवाओ।
    पुरुषों में तुम उत्तम कहलाओ,
    राम की मर्यादा का वरण करो।
    फिर तुम….

    हर माता का तुम सम्मान करो,
    पिता वचन का तुम मान रखो।
    भ्राता प्रेम पर अभिमान करो,
    रघुकुल रीत से तुम वचन करो।
    फिर तुम….

    यहाँ घर-घर में रावण बसता है,
    छदम वेश कर धारण डंसता है।
    अहम पाल कर अंदर हँसता है,
    आओ पहले इनका शमन करो।
    फिर तुम….।

    हर घर पीड़ित इक सीता नारी,
    अपनों के ही शोषण की मारी।
    घुट-घुट कर मरने की लाचारी,
    इनके जीवन को चमन करो।
    फिर तुम….।

    सरहद पे रोज चलती है गोली,
    पहियों तले कुचलती है बोली।
    भूख कर्ज में रोये जनता भोली,
    पहले इनका बोझ वहन करो।
    फिर तुम…।

    ©पंकज प्रियम
    कविता बहार से जुड़ने के लिये धन्यवाद