मै भी एक पेड़ हूं मत काटो
(१)
गली गली में मै हूं, छाया तुम्हे देता हूं।
खेतों की पार में हूं, वर्षा भी कराता हूं।
शीतल हवा देता हूं ,चुपचाप मै रहता हूं।
देखो भाई मत काटो,मै भी एक पेड़ हूं।।
(2)
मीठा फल देता हूं , खट्टा फल देता हूं।
कार्बोहाइड्रेट देता हूं,विटामिन भी देता हूं।
मै कुछ नहीं लेता, सिर्फ तुम्हे मै देता हूं।
देखो भाई मत काटो,मै भी एक पेड़ हूं।।
(3)
मै ही औषधि देता,जीवन को बचाता हूं।
अमृत का रसपान कराता,नई जान देता हूं।
मुझ पर रहम करो ,खुशियां मै देता हूं।
देखो भाई मत काटो,मै भी एक पेड़ हूं।।
(4)
पेड़ खूब लगा लो,हरियाली मै देता हूं।
रक्षा कर लो, धरा को सुंदर बनाता हूं।
पृथ्वी पर अब जीने दो, शुद्ध वायु देता हूं।
देखो भाई मत काटो,मै भी एक पेड़ हूं।।
रचनाकार कवि डीजेन्द्र क़ुर्रे “कोहिनूर”
पीपरभवना,बिलाईगढ़,बलौदाबाजार (छ.ग.)
मो. 8120587822
कविता बहार से जुड़ने के लिये धन्यवाद