वृक्षारोपण पर कविता
वृक्षारोपण पर कविता गिरा पक्षी के मुहं से दानाबस वही हुवा मेरा जनम!चालिस साल पुराना हु मैजरा करना मुझ पे रहम!! आज भी मुझको याद हैवह बिता जमाना कल!पहली किरण लि सुर्य कीथा बहुत ही सुहाना पल!! जब था मै…
वृक्षारोपण पर कविता गिरा पक्षी के मुहं से दानाबस वही हुवा मेरा जनम!चालिस साल पुराना हु मैजरा करना मुझ पे रहम!! आज भी मुझको याद हैवह बिता जमाना कल!पहली किरण लि सुर्य कीथा बहुत ही सुहाना पल!! जब था मै…
मै भी एक पेड़ हूं मत काटो (१)गली गली में मै हूं, छाया तुम्हे देता हूं।खेतों की पार में हूं, वर्षा भी कराता हूं।शीतल हवा देता हूं ,चुपचाप मै रहता हूं।देखो भाई मत काटो,मै भी एक पेड़ हूं।। …
जून दुपहरिया में जून दुपहरिया मे देहिया जरेला |सूखल होठवा पियासिया लगेला | सुना मोरे सइया |कईसे बीतिहे गरमिया के दिनवा हमार |सुना मोरे सइया | पेड़वा का छांव नाही ,चले केवनों उपाय नाही |टप-टप चुवेला पसीनवा चैन कही आय नाही…
मैं रीढ़ सा जुडा इस धरा से मैं रीढ़ सा जुडा इस धरा से,। मैं मरुं नित असहनीय पीडा से, मैं गुजरता नित कठिन परिस्थितियों से, मेरी सुंदरता कोमल शाखाओं से,उमर से पहले ही रहता मानव, मुझे काटने को तैयार, पल भर में करता अपाहिज…
इश्क़ के रोग की गर तू जो दवा बन जाए । रात दिन भीगते है बिन तेरे मेरे नैनाबिन तेरे मिलता नही मुझको अब कही चैनाहर घड़ी याद की भरी स्याहीमुझको तड़पाने रात ले आईंतू जो बारिश की तरह आके…