विनाश की ओर कदम
विनाश की ओर कदम नदी ताल में कम हो रहा जलऔर हम पानी यूँ ही बहा रहे हैं।ग्लेशियर पिघल रहे और समुन्द्रतल यूँ ही बढ़ते ही जा रहे हैं।।काट कर सारे वन कंक्रीट के कईजंगल बसा दिये विकास ने।अनायस ही…
विनाश की ओर कदम नदी ताल में कम हो रहा जलऔर हम पानी यूँ ही बहा रहे हैं।ग्लेशियर पिघल रहे और समुन्द्रतल यूँ ही बढ़ते ही जा रहे हैं।।काट कर सारे वन कंक्रीट के कईजंगल बसा दिये विकास ने।अनायस ही…
कर डरेन हम ठुक- ठुक ले पुरखा के रोपे रूख राईकर डरेन हम ठुक-ठुक ले.. ……नोहर होगे तेंदू चार बर..जिवरा कईसे करे मुच-मुच ले… ताते तात के जेवन जेवईया ,अब ताते तात हवा खावत हन ..अपन सुवारथ के चक्कर म,रूख…
धरती के श्रृंगार वृक्ष हमारी प्राकृतिक सम्पदा,धरती के श्रृंगार हैं!प्राणवायु देते हैं हमको,ऐसे परम उदार हैं!!वृक्ष हमें देते हैं ईंधन,और रसीले फल हैं देते!बचाते मिट्टी के कटाव को,वर्षा पर हैं नियंत्रण करते!!वृक्ष औषधियाँ प्रदान कर,जीवन सम्भव बनाते हैं!औरों की खातिर…
विश्व पर्यावरण दिवस पर दोहे सरिता अविरल बह रही, पावन निर्मल धार ।मूक बनी अविचल चले, सहती रहती वार ।। हरी-भरी वसुधा रहे, बहे स्वच्छ जलधार ।बनी रहे जल शुद्धता, धुलते सकल विकार ।। नदियाँ है संजीवनी, रखलो इनको साफ…
वृक्ष कोई मत काटे काटे जब हम पेड़ को,कैसे पावे छाँव।कब्र दिखे अपनी धरा,उजड़े उजड़े गाँव।।उजड़े उजड़े गाँव,दूर हरियाली भागे।पर्यावरण खराब,देख मानव कब जागे।।उपवन को मत काट,कमी को हम मिल पाटे।ऑक्सीजन से जान,वृक्ष कोई मत काटे।। देते ठंडक जो हमे,करते…