बाते सोलह आने सच है
पानी के लिए कुँएँ बावली नल में होता है खूब जमाव
महाराष्ट्र में लगा था धारा 144 देख कर भीड़ में टकराव
पानी के स्रोतों के पास समूह नहीं हो सकते थे खड़े
जल संकट से जूझ रहे हैं धीरे धीरे राज्य छोटे बड़े
आगे चल कर के पानी के लिए छिड़ सकता है विश्व युद्ध
वैसे भी पानी पीने को नहीं मिल रहा है सभी को शुद्ध
प्राकृतिक आपदा यह है नहीं खा कर खाना क्या पिएंगे
पृथ्वी का जल स्तर तेजी से घट रहा है कैसे हम जिएंगे
रोकेंगे नदिया पानी के लिए हर कोई बहुत लड़ेंगे
बाँध तालाब डबरे टंकी में घेरे डालकर ताला जड़ेंगे
भयावह हो सकती है स्थिति अगर हम पेड़ को काटते रहे
हो सकता है हकीकत पानी पीने के जगह चाटते रहे
पेड़ो की जड़े जो पानी समेटती है उसे छांट रहे हैं
फर्नीचर दहन मकान जरूरतों के लिए पेड़ काट रहे हैं
कृष्णा कावेरी गोदावरी का दर्द हम सब देख रहे हैं
गंगा कब तक बहे रोज अस्थियां आस्था में फ़ेंक रहे हैं
डिब्बा बंद पानी खरीद पीना ख्वाब में नहीं सोचा होगा।
शायद स्वार्थ के पंजो ने पानी के अस्तित्व को नोचा होगा
पानी के लिए देख त्राहि त्राहि उठा पटक है और रार है
1989 में 22 नदिया थी प्रदूषित अब यह तो बढ कर के 302 से हो चुकी पार है
आजादी के समय प्रत्येक व्यक्ति के लिए 100 लीटर था उपलब्ध
वर्तमान में यह घटकर के बीस लीटर जिससे सभी हैं स्तब्ध
पानी की समस्या के कारण अब आयात में फरक आ गया
लगता है जीते जी धरा में हमारे लिए नरक आ गया
2040 तक साठ करोड़ बच्चो को लग सकती है पानी समस्या चोट
बाते सोलह आने सच है पढ़ लो यूनिसेफ की रिपोर्ट
राजकिशोर धिरही
तिलई,जांजगीर छत्तीसगढ़
कविता बहार से जुड़ने के लिये धन्यवाद