अनिता मंदिलवार सपना की कविता
अनिता मंदिलवार सपना की कविता समझदार बनो कहते हैं बड़े बुजुर्गसमझदार बनोजब बेटियाँ चहकती हैंघर के बाहरखिलखिलाती हैंउड़ना चाहती हैंपंख कतर दिये जाते हैंकहा जाता हैतहजीब सीखोसमझदार बनो !जब वह बराबरीकरती दिखती भाई कीउसे एहसासदिलाया जाता है कितुम लड़की होतुम्हें…