by कविता बहार | Nov 7, 2023 | विविध छंदबद्ध काव्य
आज का भारत हवा चली है अब देश में जो विकास गंगा बहती मिली है ।आनंद वर्षा चहुँ ... by कविता बहार | Nov 5, 2023 | हिंदी कविता
बसंत बहार शरद फुहार जाने लगीबसंती बहार आने लगी !कोयल की कूक गुंजे चहुँ ओरधीरे – धीरे धूप तेज कदम नेंबाग में आम बौराने लगी! शाम ढ़ले चहचहाते पक्षियोंघोसला को लौटने झुंड में,पेड़ों को पत्ते पीला होकरएक – एक कर झड़ने लगी!खेत खलिहान मे पुआलगाय बकरी सुबह शाम... by कविता बहार | Nov 5, 2023 | हिंदी कविता
” भोर का दिनकर ” पश्चिम के सूर्य की तरहदुनियाँ भी ….मुझे झूठी लगीमानवता काएक भी पदचिन्हअब तो दिखाई नहीं देताजागती आँखों केसपनों की तरहअन्तःस्थल कीभावनाएँ भीखण्डित होती हैंतब ..जीवन काकोई मधुर गानसुनाई नहीं देताफिर भी ….सफेदपोश चेहरों कोबेनकाब करते हुएएक नई... by कविता बहार | Nov 5, 2023 | हिंदी कविता
लकड़ियों पर कविता चिता की लकड़ियाँ,ठहाके लगा रही थीं,शक्तिशाली मानव को,निःशब्द जला रही थीं!मैं सिसकती रही,जब तू सताता था,कुल्हाड़ी लिए हाथ में,ताकत पर इतराता था!भूल जाता बचपन में,खिलौना बन रिझाती... by कविता बहार | Nov 5, 2023 | हिंदी कविता
बोल रहे पाषाण बोल रहे पाषाण अबव्यक्ति खड़ा मौन है,छोड़ा खुद को तराशनापत्थरों पर ही जोर है।कभी घर की दीवारेंकभी आँगन-गलियारे,रखना खुद को सजाकररंग -रौगन का दौर है।घर के महंगे शो पीसबुलाते चारों ओर हैं ,मनुज को समय नहींअब चुप्पी का दौर है।दिखावे की है दुनियाकलाकारी...