अविनाश तिवारी के दोहे
अविनाश तिवारी के दोहे घड़ी घड़ी घड़ी का फेर है, मन में राखो धीर।राजा रंक बन जात है, बदल जात तकदीर।। प्रेम प्रेम न सौदा मानिये, आतम सुने पुकार।हरि मिलत हैं प्रीत भजेमति समझो व्यापार।। दान देवन तो करतार है, मत कर रे अभिमान।दान करत ही धन बढ़ी, व्यरथ पदारथ जान।। व्यवहार कटुता कभू न … Read more