राष्ट्रीय चिकित्सक दिवस
जीवन में आखिर कब तक हम, बोलो स्वस्थ यहाँ रह पाएँ
बीमारी से पीड़ित हों तो, काम डॉक्टर साहब आएँ।
मानव तन इतना कोमल है, देता है सबको लाचारी
तरह -तरह के रोगों से अब, घिरे हुए कितने नर- नारी
बेचैनी जब बढ़ जाती है, रात कटे तब जगकर सारी
बोझ लगे जीवन जब हमको, बने समस्या यह फिर भारी
मौत खड़ी जब लगे सामने, तब दिन में तारे दिख जाएँ
बीमारी से पीड़ित हों तो, काम डॉक्टर साहब आएँ।
अपनी भूख- प्यास को भूले, सेवा में दिन- रात लगे हैं
धन्य डॉक्टर साहब ऐसे, जन-जन के वे हुए सगे हैं
सचमुच देवदूत हैं वे अब, उन्हें देख यमदूत भगे हैं
मौत निकट जो समझ रहे, उनमें जीवन के भाव जगे हैं
जिनके पास नहीं हो पैसा, उनका भी वे साथ निभाएँ
बीमारी से पीड़ित हों तो, काम डॉक्टर साहब आएँ।
जीव-जंतुओं के इलाज में, लगे हुए उनको क्यों भूलें
पशु- पक्षी की सेवा करके, आज यहाँ वे मन को छू लें
जो भी हमसे जुड़े हुए हैं, उन्हें देखकर अब हम फूलें
आओ उनके साथ आज हम, सद्भावों का झूला झूलें
जिनके आगे लगे डॉक्टर, उनकी महिमा को हम गाएँ
बीमारी से पीड़ित हों तो, काम डॉक्टर साहब आएँ।
रचनाकार- उपमेंद्र सक्सेना एड०
‘कुमुद- निवास’
बरेली (उ० प्र०)
मोबा० नं०- 98379 44187
दैनिक ‘आज’, बरेली एवं दैनिक ‘दिव्य प्रकाश’, बरेली में प्रकाशित रचना- सर्वाधिकार सुरक्षित