8 जून विश्व ब्रेन ट्यूमर दिवस पर कविता
लगातार सिरदर्द रहे या, कभी अचानक चक्कर आए
बढ़े चिड़चिड़ापन तो सम्भव, प्रकट ब्रेन ट्यूमर हो जाए।
यह दिमाग के किसी भाग में, धीमे या तेजी से छाता
हो सी.टी. स्कैन नहीं तो एम. आर. आई. भेद बताता
किसी विषय पर बात करें तो,हो विचार में आनाकानी
सुनने में भी दिक्कत आए, और बढ़े जमकर हैरानी
लगे लड़खड़ाहट चलने में, हाथ- पैर में ऐंठ समाए
रोगी बहुत सिसकता देखा, पीड़ा सहन नहीं हो पाए।
उल्टी आने लगे बोलने में भी दिक्कत होती जाती
और देखने में भी बाधा रोगी को है बहुत रुलाती
इसको हम सामान्य न समझें, है यह खतरनाक बीमारी
अगर समय से पता न हो तो, बढ़ती बहुत अधिक लाचारी
पूरा ट्यूमर या फिर डैमेज भाग सर्जरी बाहर लाए
जोखिम ब्लीडिंग, इंफेक्शन का रोगी को फिर बहुत सताए।
कभी -कभी ट्यूमर में पारम्परिक सर्जरी काम न आती
ब्रेन सर्जरी बनी आधुनिक एंडोस्कोपिक ही चल पाती
और असम्भव जगह कहीं हो, आसानी से ट्यूमर निकले
फिर साइड इफेक्ट्स यहाँ न्यूरोनेविगेशन से फिसले
आज रेडियोथेरेपी भी, सारी चिंता दूर भगाए
कुछ ट्यूमर गामा नाइफ से, भी लोगों ने ठीक कराए।
रचनाकार- उपमेंद्र सक्सेना एड.
‘कुमुद- निवास’
बरेली (उ० प्र०)
मोबा- 98379 441878 जून विश्व ब्रेन ट्यूमर दिवस पर कविता