श्रृंगार छंद (उपजाति सहित) [सम मात्रिक] विधान – इसके प्रत्येक चरण में 16 मात्रा होती हैं, आदि में क्रमागत त्रिकल-द्विकल (3+2) और अंत में क्रमागत द्विकल-त्रिकल (2+3) आते हैं, कुल चार चरण होते हैं , क्रमागत दो-दो चरण तुकांत होते हैं l
उदाहरण :
भागना लिख मनुजा के भाग्य,
भागना क्या होता वैराग्य l
दास तुलसी हों चाहे बुद्ध,
आचरण है यह न्याय विरुद्ध l
– ओम नीरव