समय की चाल – पद्म मुख पंडा

समय की चाल

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सहज नहीं, जीवन भी जीना, नित उत्साह जरूरी है।
हार गया, जो मन से, मानव की यह आदत, बूरी है।
आएंगे तूफ़ान किस घड़ी, किसको भला पता है,
निर्भय होकर, रहो जूझते, मिले सफलता पूरी है
ज्ञानार्जन है बहुत जरूरी, बिना ज्ञान क्या कर सकते?
विद्वतजन के साथ रहें तो, ये जीवन की धूरी है!
है परिवर्तन शील जगत, कब क्या होगा यह ज्ञात नहीं,
चतुराई से, काम करो तो, चिन्ता की है बात नहीं!
जीवन मरण, चक्र चलता है, देश काल के साथ सदा,
जागरूक बनकर, रहना है, दूर रहेगी, हर विपदा!

पद्म मुख पंडा वरिष्ठ नागरिक कवि लेखक एवम विचारक ग्राम महा पल्ली पोस्ट लोइंग
जिला रायगढ़ छत्तीसगढ़

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