शरणार्थियों का सम्मान
होकर मजबूर वो घर- द्वार छोड़ गए,
पुराने सुरमई यादों से अपना मुँह मोड़ गए।
दहशतगर्दों के साजिश से होकर नाकाम,
फिरते इधर- उधर लोग यूं ही करते इनको बदनाम।
उम्मीद भरी नैनो से जो देखा सपना,
समय की मार से वो कभी न हुआ अपना।
मिलता जब इनको सहयोग तो छा जाता चेहरे पर मुस्कान,
अब हम करेंगे, शरणार्थियों का सम्मान।
पढ़ने के उम्र में करते ये काम होकर बेसहारा,
टूटी – फूटी झोपड़ – पट्टी सा घर है इनको प्यारा।
अपनी जमीन गांव – गली को याद कर चुपके – चुपके रोया,
समय की चाल में भूल गया वो क्या पाया और खोया।
होगा वो महापुरुष जो करे इनपर सेवा – दान,
अब हम करेंगे,शरणार्थियों का सम्मान।
अत्याचार और जुल्मों – सितम का मार,
पीकर गम के आंसुओं को करते खुशी का इजहार।
कोई भी इनके दर्द को न जाना,
करते रोजगार के लिए मजदूरी और गाना – बजाना।
काश इनका भी होता एक अलग पहचान,
अब हम करेंगे, शरणार्थियों का सम्मान।
किस्मत के मार से खुद को गए भुल,
पहनते फटे कपड़े – चप्पल और खाते हैं धुल।
कोई इनको धिक्कारे कोई करे इनको प्यार,
फिर भी अपने दुःखों का कभी न करें ये इजहार।
चलाकर अभियान करेंगे रक्षा बढ़ेगा इनका शान,
अब हम करेंगे, शरणार्थियों का सम्मान।
—– अकिल खान रायगढ़ जिला- रायगढ़ (छ. ग.) पिन – 496440.