सेवा -प्रेम आधारित कविता-डॉ शशिकला अवस्थी

सेवा -प्रेम आधारित कविता

kavita

सेवा ,प्रेम पुण्योदय से हो जाओ मालामाल।
प्रभु खुशियों से झोली भर कर,
हे मानव तुम्हें कर देंगे खुशहाल।
जनहित के कार्य करो,
कोई ना रहे बेहाल।
परमार्थ में जीवन बीते,सबके
जीवन में,उड़ाओ खुशी गुलाल।
मन, कर्म ,वचन से सबके कष्ट हरो
, तुम हो भारत माता के लाल।
प्रकृति पर्यावरण के संरक्षक बनो ,
भारत मातृभूमि कर देगी निहाल।
धरती से गगन तक उमंग तरंग में,
गांवों गीत ,हों सुंदर लय -ताल।
नैतिकता ,मानवता पथ के राही बनो,
दुनिया के लिए बनो मिशाल।

रचयिता
डॉ शशिकला अवस्थी, इंदौर

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