शाला और शिक्षक को समर्पित कविता

डॉ. राधाकृष्णन जैसे दार्शनिक शिक्षक ने गुरु की गरिमा को तब शीर्षस्थ स्थान सौंपा जब वे भारत जैसे महान् राष्ट्र के राष्ट्रपति बने। उनका जन्म दिवस ही शिक्षक दिवस के रूप में मनाया जाने लगा।

“शिक्षक दिवस मनाने का यही उद्देश्य है कि कृतज्ञ राष्ट्र अपने शिक्षक राष्ट्रपति डॉ. राधाकृष्णन के प्रति अपनी असीम श्रद्धा अर्पित कर सके और इसी के साथ अपने समर्थ शिक्षक कुल के प्रति समाज अपना स्नेहिल सम्मान और छात्र कुल अपनी श्रद्धा व्यक्त कर सके।

शिक्षक दिवस
शिक्षक दिवस

शाला और शिक्षक को समर्पित कविता

वही मेरी जन्मभूमि है .
वही मेरी जन्मभूमि है .

जहाँ मैंने बातों को समझा
जहाँ से खुला आनंद द्वार ।
भटक जाता राहों में शायद
गुरु आपने ही लगाई पार ।
आशीष सदा आपकी, नहीं कोई कमी है।
वही मेरी जन्मभूमि है ।
वही मेरी जन्मभूमि है ।

हमने जो पूछा, वो सब बताया।
सच्चे राहों में जीना, ये सिखाया ।
आज हम निर्भर हैं, खुद पर
वो आपकी रहमों करम पर ।
कोई इसके सिवा जो सोचे, गलतफहमी है।
वही मेरी जन्मभूमि है ।
वही मेरी जन्मभूमि है ।

1 thought on “शाला और शिक्षक को समर्पित कविता”

Leave a Comment